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1100 K.M. Caar Chalaakar Tara Sansthan Pahunche Bujurg Sharma Dampati

Posted on 08-May-2023 02:25 PM

1100 कि.मी. कार चलाकर तारा संस्थान पहुँचे बुजुर्ग शर्मा दम्पति

अंग्रेजी में एक कहावत है "Age is just a number" या यूँ कहें कि उम्र एक आँकड़ा भर है जो प्रतिवर्ष बढ़ता रहता है। कहने सुनने में यह वाक्य बहुत अच्छा लगता है लेकिन असल जीवन में इस वाक्य को बहुत कम लोग उतार पाते हैं। हम अपने आस पास देखते हैं तो बहुत से लोग जब रिटायर्ड हो जाते हैं तो वे वाकई में अपने आपको बूढ़ा मान लेते हैं जबकि आज के संदर्भ में देखा जाए तो औसत भारतीय आयु अभी लगभग 70 वर्ष है तो 60 की आयु में यदि कोई रिटायर्ड भी हो रहे हैं तो भी ये माना जा सकता है कि वे औसत भारतीय की आयु तो कम से कम प्राप्त करेंगे ही और सामान्य मध्यवर्गीय या उच्च परिवारों में जहाँ Health Conscious लोग होते हैं थोड़ा सा व्यायाम, थोड़ा परहेज इस औसत को कई साल ऊपर बढ़ा सकता है। तारा संस्थान चूंकि वृद्ध लोगों हेतु काम करता है और हमारे दानदाताओं में भी 60 वर्ष या अधिक के महानुभावों का प्रतिशत ज्यादा है सो मैं ये दावा कर सकती हूँ कि भले ही मैं अभी बुजुर्ग नहीं हूँ लेकिन हमारा अनुभव वृद्धावस्था के क्षेत्र में कई बुजुर्गों जितना है और ये अनुभव से दावा कर सकते हैं कि उम्र को यदि एक आँकड़ा मान लिया जाये तो 60 वर्ष के बाद का जीवन बेहतरीन हो सकता है। 84 वर्ष की प्रेम निझावन माताजी है जो जब भी तारा या नारायण सेवा का कोई कार्यक्रम हो आराम से ट्रेन में आ जाती हैं या उनके साथ आने वाले कालरा अंकल आंटी जो कि 75 से ऊपर के होने पर भी आराम से घूमते फिरते हैं या लगभग 80 वर्ष के इंग्लैण्ड में रहने वाले हमारे बच्चू भाई जिन्होंने पत्नी श्रीमती मीरा की सालों पहले मृत्यु के बाद भी अपने आपको बेबस नहीं पाया, खुद घर का काम भी करते हैं सर्दियों में भारत आकर सेवा भी करते हैं और भारत भ्रमण भी। कहने को इतने किस्से हैं कि ना जाने कितनी तारांशु के पन्ने इन्हीं कहानियों से रंग दूँ लेकिन अभी कुछ दिन पहले एक दम्पति श्री रवीन्द्र कुमार जी शर्मा और श्रीमती सुलोचना जी शर्मा, कांगड़ा (हि.प्र.) से उदयपुर आए थे उनसे मिली तो बस ये लगा कि उम्र को उम्र मानना या ना मानना हमारे हाथ में ही तो है।

शर्मा दम्पति पिछले 6-7 साल में तारा संस्थान से जुड़े हैं पी.डब्ल्यू.डी. हिमाचल से आप रिटायर्ड हैं और मुझे ये बताया गया कि आप दोनों मुझसे मिलना चाहते हैं। मैंने भी उनसे मिलकर उनका सम्मान करने की इच्छा जताई क्योंकि इतनी दूर से तारा संस्थान देखने आना भी बहुत बड़ी बात होती है। उनसे मिली उन्होंने जो भी दान देना था दिया और बातों बातों में मैंने पूछ लिया कि आप कांगड़ा से ट्रेन से आए या फ्लाइट से। उन्होंने जो मुझे बताया तो वो चौंकाने वाला था। शर्मा जी कांगड़ा से गाड़ी लेकिर उदयपुर आए थे जो कि लगभग 1100 कि.मी. है। आप लोग सोच रहे होंगे कि इसमें क्या है हम भी कई बार इतना तो By Road Travel कर लेते हैं लेकिन बड़ी बात ये है कि 73 वर्ष की अवस्था में जब कई लोग एक शहर में ही गाड़ी नहीं चलाते ऐसे में शर्मा जी खुद गाड़ी चला कर कांगड़ा से उदयपुर आए उन्हें रात में गाड़ी चलाने में दिक्कत है सो वे रास्ते में दो रात रुके भी और उस पर ये भी कि उनकी गाड़ी छोटी सी Alto है जिसे चलाना भी उतना आसान नहीं होता। सच में उन्हें देखकर यही लगा कि यदि मन मजबूत हो तो हम क्या नहीं कर सकते हैं?

एक संस्थान में काम करने की जो सबसे अच्छी बात है वो यह कि अलग अलग महानुभावों से मिलना हो जाता है जो कि बेहद प्यारे इंसान होते है और वे हमें इतना लाड़ और सम्मान देते हैं कि मन गद्गद् हो जाता है और अगर ये पता लगे कि मेरे पिता से थोड़े ही छोटे एक अंकल 1100 कि.मी. दूर से मुझसे मिलने गाड़ी चला कर आए हैं तो उनकी हिम्मत को प्रणाम करते हुए अपने आप को सौभाग्यशाली मानती हूँ।

शर्मा साहब जब वापस जा रहे थे तो हमने जिद कर उनको उनकी गाड़ी में ही छुडवाते के लिए ड्राइवर साहब को भोजा क्योंकि उनके जितनी हिम्मत हममें नहीं है और वे सकुशल वापस कांगड़ा पहुँच गए।

ईश्वर से यही प्रार्थना है कि मेरा आपका सभी का मन मजबूत रखे ताकि हमारी उम्र भी महज एक आंकड़ा भर बन जाए और हर आता जन्मदिन हमारे जीवन में अनुभव और ज्ञान बढ़ने का उल्लास जगाता रहे।

आदर सहित...

- कल्पना गोयल

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