12 Saal Ki Bhairki Ko Mili Netra Jyoti
Posted on 18-Aug-2018 04:05 PM
12 साल की भैरकी को मिली नेत्र ज्योति
तारा नेत्रालयों उदयपुर, दिल्ली और मुम्बई में मिलाकर अबतक 16,000 से अधिक मोतियाबिन्द के ऑपरेशन हो गए हैं। हर ऑपरेशन संस्थान के लिए तो महत्त्वपूर्ण होता ही है लेकिन जिस वृद्ध का ऑपरेशन होता है उसका तो जीवन बदल जाता है क्योंकि खत्म होती आँखों की रोशनी में ऑपरेशन के बाद एकदम साफ दिखाई देना उस वृद्ध को मानो नया जीवन दे देता है..... और वृद्ध होते शरीर में केवल आँख ही ऐसा अंग है जो ऑपरेशन के बाद पूरी तरह सही हो सकती है.....और इस ऑपरेशन से वृद्ध के जीवन के अंतिम वर्ष तो कम-से-कम सुकून से गुजरते हैं.....
लेकिन यदि किसी बच्चे में मोतियाबिन्द हो जाए और धीरे-धीरे असकी आँखों की रोशनी पूरी चली जाए तो आप विचार करें कितना मुश्किल जीवन उसके सामने होगा।
तारा नेत्रालय में जब भी कोई बच्चा मोतियाबिन्द के साथ आता है तो हम हमेशा उसका ऑपरेशन Priority से करते हैं क्योंकि यदि समय पर ऑपरेशन न हो तो उस बच्चे की आँख Permanently खराब होने का खतरा रहता है। तारा में पूर्व में भी 3-4 बच्चे आए और उनका सफलतापूर्वक ऑपरेशन हुआ........उनमें से एक बच्चे ने तो कई प्राइवेट हॉस्पीटल में भी दिखाया था लेकिन उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सम्भव नहीं है.... उस हॉस्पीटल को लगा कि बच्चे के ऑपरेशन में खर्च ज्यादा होगा और गरीब माता-पिता कहाँ से इतना खर्च करेंगे....
अभी कुछ दिनों पहले 12 साल की एक बच्ची ‘‘ भैरकी’’ तारा नेत्रालय, उदयपुर में आई उसकी दोनों आँखों में मोतियाबिन्द था और उसे दोनों आँखों से बिलकुल दिखाई नहीं दे रहा था। भैरकी के पिता किशन जी उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर झाड़ौल नाम के आदिवासी गाँव में हम्माली करते हैं। और आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वो 4-5 हजार रुपया महीने से ज्यादा क्या कमाते होंगे। उनके पास 2 बीघा बंजर जमीन है जिसमें बरसात के दिनां में थोड़ी सी मक्का की फसल होती है।
भैरकी की दोनों आँखों में मोतियाबिन्द था और पिछले कुछ महीनों से बिलकुल नहीं दिख रहा था। किशन जी को उनके किसी रिश्तेदार से तारा नेत्रालय का पता चला कि यहाँ सारी सुविधाऐं निःशुल्क है तो वे भैरकी को ले आए...... जैसा कि हम बच्चों के लिए हमेशा करते हैं.... भैरकी का जल्दी से जल्दी ऑपरेशन किया गया..... बच्चों के ऑपरेशन में हमें अलग से Anesthelist (बेहोश करने वाले डॉक्टर) को बुलाना पड़ता है और ऑपरेशन का खर्च भी ज्यादा आता है लेकिन एक बच्चे के जीवन के आगे इस खर्च की कोई कीमत नहीं मानते हैं।
तो भैरकी का ऑपरेशन हुआ अभी वो थोड़ा-थोड़ा देख रही है उससे बात की तो वो सहमी हुई थी कि ज्यादा बोल ही नहीं रही लेकिन उस से पूछा कि दोनों आँखे ठीक होगी तो स्कूल जाओगी तो उसने धीरे से हाँ में सिर हिला दिया........
भैरकी का जीवन सँवारने का सौभाग्य हमें भी मिला और आप लोगों को भी जो ‘‘तारा संस्थान’’ को सहयोग कर रहे हैं और आप और हम मिलकर विनम्र भावों से उनके लिए कुछ करते चले जाएँ जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है......फिर चाहे 12 साल की भैरवी हो या 80 साल के कोई बुजुर्ग.....
दीपेश मित्तल