अनिता के हुआ कांटेक्ट लैंस का इम्पलांट... और मिली रोशनी !
तारा नैत्रालय उदयपुर दिल्ली और मुम्बई में हमारा लक्ष्य है कि उन सभी लोगों को लाभ मिले जो कि धन के अभाव के कारण अपनी आंखों की खो रही रोशनी को वापस नही पा सकते हों, क्योकि सिर्फ पैसे नहीं है इसलिए कोई वृद्ध अपने जीवन के आखिरी 10-15 साल अंधेरे में निकाले, यह किसी भी रूप में उचित नहीं लगता है। तारा नेत्रालय में सारी सुविधाऐ निःशुल्क होने के बाद भी हमारा यही प्रयास है कि रोगी को Quality चिकित्सा मिले और इसीलिए हमने तीनों हॉस्पीटल में बढ़िया से बढ़िया मशीने ली है और डाक्टर्स व दूसरा स्टाफ भी Well Qualified व पूरी तरह प्रशिक्षित नियुक्त किया है। तीनों हास्पीटलों में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि निःशुल्क होने पर भी सभी रोगियों को एक अच्छे प्राइवेट हास्पीटल सी सुविधाऐं महसूस होवें।
तारा संस्थान द्वारा तीनों हास्पीटलों में 17000 से अधिक मोतियाबिन्द के सफल ऑपरेशन तो हुए ही है लेकिन कई प्रकार के Specialized ऑपरेशन जैसे छोटे बच्चों में मोतियाबिन्द ऑपरेशन, दवा से ही सुन्न कर मोतियाबिंद ऑपरेशन आदि भी हुए हैं।
इस प्रकार का एक विशेष ऑपरेशन दिल्ली के तारा नेत्रालय में संपन्न हुआ जिसके बारे में आपको जानकरी दे रहे है...............
दिल्ली के इंद्रपुरी निवासी श्रीमती अनीता पाडिया की दूर की नजर बेहद कमजोर थी उन्हे दोनो आंखों में -15 का नम्बर ब्लसपदकमत के साथ था या सरल शब्दों में कहें तो उन्हें बिना चश्में नही के बराबर दिखता था । अनीता जी ने बताया था कि उनकी इस कमी के कारण उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया था और वो अपने मम्मी पापा के पास रह रही थी।
उन्होने कई हास्पीटलों में दिखाया उनका Lasik Laser (चश्में के नम्बर हटाने वाला आपरेशन) भी संभव नहीं था क्योंकि डाक्टरों के अनुसार उनकी पुतली की मोटाई भी कम थी।
उनकी इस बीमारी का एक ही ईलाज था प्उचसंदज ।इसम ब्वदजंबज स्मदेम अर्थात आंख के अंदर एक लैंस लगाना जिससे कि साफ दिखाई दे। इस तरह का लैंस अपने आप में बहुत महँगा था और उस से भी महँगी उसका आपरेशन था। अनीता ने दिल्ली के कई प्राइवेट अस्पतालों में दिखाया तो उन्होने खर्च 1.25 लाख से 1.5 लाख रूपये का बताया जो खर्च करना उनके बस में नहीं था।
किसी रिश्तेदार के माध्यम से अनीता को तारा नेत्रालय दिल्ली का पता चला और यहाँ पर जब उन्हें बताया गया कि उनका ऑपरेशन पूर्णतया निःशुल्क हो जाएगा और उन्हें बस लैंस अपने स्तर से लाना होगा तो वे तुरन्त ऑपरेशन कराने को तैयार हो गई। अनीता जी की दोनों आंखों का ऑपरेशन किया गया और अब उन्हें बिना चश्में भी एकदम साफ दिख रहा है।
अनीता जी और उनके परिवार को जो खुशी तारा संस्थान के माध्यम से मिली उसके साझादार आप और हम सब हैं। इस कालम के माध्यम से आपको यह भी पता चला होगा कि हमारा लक्ष्य केवल ऑपरेशनों की संख्या से नहीं है वरन् प्रयास यह है कि तारा के माध्यम से गुणवता वाली चिकित्सा निःशुल्क मिले।
हमारी समस्त चिकित्सक टीम और उनके सहयोगियों को भी साधुवाद है कि वे हमारे इस प्रयास में अपना योगदान दे रहें हैं।
सादर...
दीपेश मित्तल
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