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Ek Aabaad Ghar

Posted on 08-May-2023 02:30 PM

एक आबाद घर

मार्च के अंतिम सप्ताह की बात है मेरे पास उदयपुर के समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक श्री मांधाता सिंह जी का फोन आया कि उदयपुर के पूर्व मेयर श्री चन्द्र सिंह कोठारी की जानकारी में एक वृद्ध आए हैं जिनका कोई नहीं है और उनके पास जीवनयापन की भी कोई व्यवस्था नहीं है आप उन्हें वृद्धाश्रम में बुला लो। तारा में उस दिन कोई गाड़ी नहीं थी लेकिन हमारी कार्यकर्त्ता भावना जी ने बोला मैं अपनी गाड़ी से उनको लाती हूँ और उनके साथ तारा के इलेक्ट्रीशियन दशरथ जी को भेजा और वे दोनों गए। पूर्व मेयर साहब श्री कोठारी ने लक्ष्मण जी को तारा की टीम के साथ भेजा और लक्ष्मण जी श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम में आ गए। 

लक्ष्मण जी के आस पास के लोगों ने यह बताया था कि वे ठेला चलाते थे और अब उम्र के कारण नहीं चला पा रहे है तो पिछले कुछ दिनों से कुछ ढंग से खाया पिया भी नहीं था। ऐसा नहीं है कि हमारे यहाँ अड़ोस पड़ोस के लोग मदद नहीं करते लेकिन संकोच वश शायद लक्ष्मण जी ने किसी की मदद नहीं ली और वे ज्यादा कमजोर होते चले गए।

ये लेख लिखे जाते तक लक्ष्मण जी को कुछ दिन हो गए हैं लेकिन उन्होंने काफी समय से कुछ खाया पिया नहीं था तो वे ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं और इतने अशक्त हैं कि अभी भी वे ढंग से खाना पीना भी नहीं कर पा रहे हैं। थोड़े वक्त के साथ लक्ष्मण जी ठीक हो जाऐंगे और शायद वे भूल भी जाए कि उन्हें कोई तकलीफ भी हुई थी और वृद्धाश्रम में संगी साथी उनके मन के कुछ घाव होंगे उनको भी भर देंगे।

अगले ही दिन मेरे पास फोन आया कि उदयपुर की ए.डी.एम. (अतिरिक्त कलेक्टर) मैडम ने सूचना दी है कि शहर के भंडारी हॉस्पीटल के पास सड़क पर एक महिला है उनका कोई नहीं है उन्हें आप वृद्धाश्रम में ले आओ। टीम भेजी गई और श्रीमती मंजू को भी श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम में जगह मिल गई। अच्छे खान पान से वे थोड़ा ठीक हुई और उन्होंने बताया कि वे उदयपुर से करीब 50 कि.मी. दूर झाड़ोल फलासिया गाँव की है और शहर के मल्ला तलाई क्षैत्र में रह रही थी। पति सारे समय शराब में रहते हैं और घर का किराया नहीं दे पाई तो उन्हें मकान मालिक ने घर से निकाल दिया। अकेली वृद्ध महिला सामान समेत सड़क पर आ गई, अब करें तो क्या करें। लेकिन जिनका कोई नहीं उनका तो ईश्वर होता है तो किसी भले आदमी ने प्रशासन को खबर की और अब वे अपने नए घर में आ गई जहाँ अब उन्हें कोई चिंता नहीं है। वृद्धावस्था में यदि ये निश्चिंतता हो जाए कि अब हमारे खाने-पीने दवा-हॉस्पीटल कपड़े-लत्ते सब की व्यवस्था हो जाएगी तो जो भी जीवन आगे लिखा है वो सुकून भरा बीतेगा।

लक्ष्मण जी की और मंजू जी की कहाने आपके साथ इसलिए शेयर कर रहे हैं कि आपको भी पता रहे कि आप जिस संस्थान को दान दे रहे हैं वो किस तरह से काम करती है। वैसे तो आपका भरोसा हम पर है तभी तो आप निरंतर तारा को सहयोग दे रहे हैं लेकिन आप में से अभी भी बहुत कम लोग हैं जो उदयपुर आए हैं तो इस तरह की कहानी आपको यह अहसास अवश्य देगी कि आपने सही चुनाव किया है।

आपका और हमारा साथ बहुत से लक्ष्मण जी और मंजू जी को एक सम्मान पूर्वक जीवन संध्या दे रहा है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि यह साथ और मजबूत होता रहे।

सादर...

- दीपेश मित्तल

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