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Ek Ehsaas... Kisi Ke Hone Ka

Posted on 20-Aug-2018 12:21 PM
एक एहसास... किसी के होने का
 
जून, 2018 में तारा संस्थान को सक्रिय रूप से काम करते हुए 7 साल हो गए हैं। जब ये यात्रा शुरू हुई थी तो नहीं मालूम था कि किस ओर जाना है बस एक निःशुल्क आँखों का अस्पताल खोलना है, ये सोचा था। कहते हैं ना कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है कोई आविष्कार तो नहीं किया लेकिन आँखों का अस्पताल खुला और आई कैम्प लगे तो उनमें कुछ असहाय बुजुर्ग आए तो वृद्धाश्रम की सोच ने जन्म लिया और फिर अगले कुछ माह में खुल भी गया, फिर तृप्ति, गौरी, शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल ये सब भी हो गए। सात सालों में तारा संस्थान 4 आँखों के निःशुल्क अस्पताल (उदयपुर, दिल्ली, मुम्बई व फरीदाबाद), तीन वृद्धाश्रम (उदयपुर, इलाहाबाद, फरीदाबाद) एक स्कूल व कुछ अन्य योजनाएँ चला रही हैं तो इसके मायने क्या हैं?मेरी नज़र में इसका सबसे बड़ा मायना है कि ऐसे हजारों लोग जो तारा के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं या हुए हैं उनके मन में विश्वास है कि कोई है उनके लिए। जब कोई लाचार बुजुर्ग अपनी आँखों की रोशनी खोने के डर से परेशान हो तो बिना शंका के तारा आ जाता है। वृद्धाश्रम तो अकेले बुजुर्गों के लिए ताकत बन गया है जहाँ वे निशि्ंचतता से पूरे हक के साथ रह रहे हैं। शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल में इस साल 50 बच्चों का एडमिशन हुआ, ऐसी माताएँ जिनके पति नहीं रहे और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं तो उनका ये सपना कि बच्चा पैसे के अभाव में अच्छी शिक्षा में वंचित न रह जाए, इस स्कूल के कारण पूरा हुआ। जब आदिवासी क्षेत्रों में कैम्प लगता है तो बहुत से बुजुर्ग ऐसे आते हैं जिनका ऑपरेशन न होता तो थोड़े से समय में आँख चली जाती, ये कैम्प उनके लिए संजीवनी का काम कर रहे हैं। तृप्ति योजना नाम से ही तृप्त करने वाली है इसके कारण लाचार बुजुर्ग जो गाँव में हैं और वृद्धाश्रम नहीं आना चाहते, अपने घर में ही खुश हैं कि अब उनको जीवन पर्यंत घर पर मासिक राशन मिलेगा। 
मेरा दृढ़ मानना है कि ईश्वर चाहता था तभी ये सब काम होते चले गए लेकिन उसने आप सब को भी चुना और तारा से जोड़ा तभी ये सब काम शुरू हुए और लगातार हो रहे हैं। कोई कितना भी बड़ा और अच्छा सोचे लेकिन उस सोच को अमल में लाने के लिए धन तो चाहिए ही और आप सब हैं तो हमें भी ये एहसास है कि हमारे साथ कोई है तभी तो हम कोई भी नया कदम उठा लेते हैं बिना ये सोचे कि उस काम को चलाने की व्यवस्था कैसे होगी लेकिन वो काम होता है और चलता भी है।
तारा संस्थान के संचालन में जितने लोग जुड़े हैं मैं, कल्पना जी और हमारे सभी साथी आप सबको धन्यवाद देते हैं कि आप सब हमारे साथ हैं यह एहसास हमारी ऊर्जा का स्रोत है।
आदर सहित...
 
दीपेश मित्तल

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