एक रिश्ता दर्द का...
अभी कुछ दिनां पहले इंग्लैण्ड के लेस्टर शहर से श्री कांती भाई तारा संस्थान में पधारे उनके साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शोभना बेन और सहयोगी दीप्ती जी भी थे। वे ‘‘भारत वैलफेयर ट्रस्ट’’ नाम का एक ट्रस्ट संचालित करते हैं जो कि तारा संस्थान को समय-समय पर अपना सहयोग विभिन्न दानदाताओं के माध्यम से भेजता रहा है।
कांती भाई को तारा संस्थान की गतिविधियाँ दिखाई गई क्योंकि जो हमे सहयोग दे उनका हमें व हमारे कार्य को जानना बेहद जरूरी होता है। तभी एक विश्वास कायम होता है और व दानदाता को अच्छे से बता सकते हैं कि उनके दिए गए दान से वाकई अच्छा काम हो रहा है।
कांतीभाई को तारा नेत्रालय में ओपीडी व वार्ड में भर्ती रोगियों से मिलवाया साथ ही वृद्धाश्रम के आवासियों से भी मिलवाया। तारा संस्थान की गौरी योजना में लाभान्वित कुछ महिलाओं को भी बुलवाया गया था जिससे वे भी कांती भाई को बता सकें कि उन्हे मिलने वाली सहायता से जिनके जीवन में क्या फर्क आ रहा है।
भावनाओं से भरी इस बातचीत ने बैठे हुए सभी लोगों की आंखों को भिगो दिया..... जब भी मैं इन महिलाओं से मिलती हुँ और वे बताती है कि जिंदगी की लडाई बिना किसी खास कमाई के वे कैसे लड़ रही हैं। मेरे आंसू भी नहीं रूकते हैं और वे सब भी जब किसी दानदाता से मिलती है तो उनके आंसू भी अपने आप निकलने लगते हैं।
इसमें उन विधवा महिलाओं की कमजोरी नहीं है ये तो वो दर्द है जो कभी कभी छलक जाता है और खासकर तब जब कोई उन्हें ढ़ाढस बंधाता है कि ‘‘चिंता मत करो हम हैं तुम्हारा खयाल रखने को’’।
एक सोच हमेशा परेशान करती है कि मात्र 1000 रू. देने से एक विधवा महिला की क्या सहायता होगी? लेकिन जब उन महिलाओं ने बताया कि उन्होने अपने बच्चों की पढ़ाई के सपने बुन रखे हैं। इस 1000 रूपयों से तो मन में शांती आयी कि चलो उनके कठिन जीवन में कुछ तो राहत पहुँचा ही रहे हैं हम..... और फिर जब गीली-आंखों से कांतीभाई ने बताया कि उनके पिता का देहांत भी जब वे 2-3 वर्ष के थे तभी हो गया था और उनकी माँ ने उन्हे बहुत मुश्किलों से बड़ा किया इसलिए वे हमारी गौरी योजना की लाभार्थियों का दर्द अच्छे से समझते हैं। और उनके लिए हरसंभव सहायता का यत्न करेंगे तो बहुत अच्छा लगा।
कांती भाई जब इन बहनों से मिलकर जा रहे थे तो एक लड़का एक महिला के साथ प्रवेश कर रहा था.... उस लड़के से बात की तो बताया कि साथ आयी महिला मंजू सालवी उसकी बहन है और मार्च 2015 में उनके पति जो कि घरों में पेंट का कार्य करते थे का निधन हो गया था। उनके तीन बेटियाँ है दिव्या-7 वर्ष , तनिषा-4 वर्ष, और यामिनी-2 वर्ष। थोड़ा बहुत घरों में काम करती हैं पर किराये के कमरे में रहकर 3 बच्चियों की परवरिश कैसें हो....बहुत कठिन समय से गुजर रही थी। वर्तमान में तारा संस्थान नयी महिलाओं को गौरी योजना में नही ले रहा था क्योंकि अभी प्राप्त हो रही राशी जो महिलाएँ हैं उनके के लिए भी नाकाफी थी। लेकिन कांतीभाई ने उनकी जिम्मेदारी ली और अब तारा की तरफ से उसे प्रतिमाह 1000 रूपये मिलेगा।
कांतीभाई इंग्लैण्ड से भारत आये और उदयपुर आकर जरूरतमंद लोगो का दर्द बांटा लेकिन सबके लिए यहाँ आना संभव नहीं होता है बस इसलिए यह संवाद आपसे ‘‘तारांशु’’ के माध्यम से होता है ताकि आपका हम पर विश्वास बना रहे.....
आदर सहित!
कल्पना गोयल
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