Ek Sunhare Bhavishya Ki Our...
Posted on 20-Aug-2018 11:19 AM
एक सुनहरे भविष्य की ओर....
8 नवम्बर, 2016 भारत के इतिहास में बहुत बड़ा दिन था, एक ऐसा फैसला लिया गया... जो भारत की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाएगा। प्रधानमंत्री ने घोषणा करके भारत की 80 प्रतिशत से अधिक मुद्रा को हटा दिया और नयी मुद्रा लाई गई। इस निर्णय के पक्ष-विपक्ष में कई तर्क दिए जा रहे हैं और बहुत सारी राजनीति भी हो रही है लेकिन आपके साथ हमारा यह संवाद राजनीति या फिर करेंट अफेयर्स से परे होता है। हमारा रिश्ता भावों का रिश्ता है लेकिन फिर भी बड़ी घटना थी इसीलिए इस विषय को लेकर आज हम आपसे बात कर रहे हैं।
विमुद्रीकरण से लम्बे समय में लाभ मिलेंगे ऐसा हर जानकार कहता है और कोई भी देशवासी देश के लिए कुछ अच्छा हो तो तकलीफ झेलने को तैयार होगा और ऐसा हो भी रहा है क्योंकि भारत में राष्ट्रभक्ति हमेशा राजनीति से ऊपर रही है।
जो भी दानदाता हमसे जुड़े हैं वे सभी नौकरी, व्यापार, कृषि आदि क्षेत्रों से हुई अपनी आय का कुछ हिस्सा एक अच्छे कार्य में देने का मन रखते हैं और देते भी हैं। आप सभी वो बड़े दिल वाले लोग हैं जिन्होंने अपने हिस्से के खर्च को कम कर अपनी मेहनत की कमाई को दूसरों के लिए दिया है वरना खर्च करने की अधिकतम सीमा कुछ भी नहीं होती है। संस्थान को एक्टिवली काम करते हुए 5 वर्ष से थोड़ा ही अधिक समय हुआ है और संस्थान की दृष्टि से देखे तो अभी हम शैषव काल में हैं। ईश्वर की कृपा और पापा डॉ. कैलाश ‘मानव’ जी का आशीर्वाद है... अभी उदयपुर, दिल्ली, मुम्बई व फरीदाबाद में निःशुल्क आँखों के हॉस्पीटल हैं। उदयपुर व इलाहबाद में वृद्धाश्रम हैं, विधवा महिलाओं को गौरी व गाँव के बुजुर्गों को तृप्ति के माध्यम से सहायता दे रहे हैं और गरीब बच्चों का एक स्कूल भी है। सभी काम चलाने के लिए ‘‘अर्थ’’ आवश्यक है ये परम सत्य है और हम आप सबके आभारी हैं कि आपने सहयोग किया तभी ये सब हो पाया।
विमुद्रीकरण के बाद थोड़ी कठिनाई सभी को आ रही है और थोड़े समय सबको कुछ परेशानी होगी ऐसा लगता है, लेकिन इस परेशानी में भी ‘‘तारा’’ का हाथ थामे रहें, यही अपेक्षा है।
कल्पना गोयल