एक विचार
मेरी घर के सामने गली में एक महिला रहती हैं जो अकसर मुझे पास के मंदिर में तीज या गणगौर की पूजा के दौरान मिल जाती थी, मैं उनसे बहुत प्उचतमेमक थी। बहुत ही गरिमामय अच्छा बोलने वाली सौग्य सी। अभी थोड़े दिनों पहले वो मेरे पास आई और उन्होंने बताया कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में उनके पति गुजर गए और वो चाहती थी कि उन्हें कुछ काम मिल जाए क्योंकि दो बेटियों और एक बेटे की पढ़ाई और घर का खर्च सारी जिम्मेदारी अब उन पर थी। आज से कुछ साल पहले तो हम विधवा महिलाओं को गौरी योजना में 1000 रु. महीना उनके बैंक खाते में डालते थे लेकिन अब हम कोई भी इस तरह की महिला आती है तो उन्हें तुरंत कुछ तात्कालिक सहायता के साथ तारा के कॉल सेन्टर में नौकरी की ऑफर करते हैं और कई महिलाओं ने यहाँ काम कर अपना विश्वास पाया है। तो मैंने उनको भी कहा कि आप आ जाइये और वे पति की मृत्यु के एक माह बाद ही तारा में आ गई और मुझे लगता है कि उनकी चिंताएँ कुछ हद तक कम हो गई होंगी।
कोई कितना भी मजबूत हो लेकिन सबके साथ ऐसा वक्त आता है जब कोई मुसीबत हो और आप असहाय महसूस करें और महिलाओं के साथ तो जब उनके परिवार का एकमात्र सहारा पति छिन जाए तो क्या हो और मैंने देखा है कि ऐसी स्थिति में कई बार सास-ससुर भी अपनी बहू और पोते-पोतियों को मानो पराया कर देते हैं मानो उनका रिश्ता सिर्फ बेटा था। ऐसी स्थिति में क्या किया जाए, हर लड़की को ‘‘तारा’’ तो नहीं मिल सकती है और ‘‘तारा’’ भी कितने लोगों को काम देगी वैसे हमारा यह मानना है कि महिला यदि स्वयं का खर्चा निकालने जितना भी डोनेशन ले आए तो हम ऐसी हर महिला को ले लेवें लेकिन स्थान की कमी आदि कई बाध्यताएँ हो सकती हैं।
मुझे ऐसा लगता है कि आज की दुनिया में बेटियों को भी ऐसी शिक्षा जरूर दी जाए जिससे वो कोई भी काम अवश्य करें और उन्हें काम करने भी दिया जाए क्योंकि वो काम करेंगी तो पति के साथ भी अच्छी जिन्दगी जीने में योगदान देगी और जिनके पति नहीं रहें उन्हें कम-से-कम यह ताकत तो रहेगी कि उनका और उनके बच्चों का भविष्य अंधेरे में नहीं है। मुझे लगता है कि आप और हम तो जिस वर्ग में आते हैं उसमें अब बेटियों को अच्छी शिक्षा दी ही जा रही है मेरी बेटी भी सी.ए. होकर नौकरी कर रही है लेकिन अपने आस पास ऐसी कोई भी बेटियाँ हो तो उन्हें प्रेरित करें अच्छी शिक्षा और आत्मनिर्भर होने की, आप अपने ड्राइवर, माली, बाई इन्हें भी समझा सकते हैं और हाँ उस महिला के पति गुटखा खाते थे मुँह में छोटी सी गाँठ हुई डॉक्टर को दिखाया तो कैंसर निकला उस गाँठ को निकाला और लगा कि अब नहीं फैलेगा लेकिन कैंसर पूरे शरीर में फैला और 7-8 महीने में उनके पति की मृत्यु हो गई। मेरे एक मिलने वाले हैं वो गुटखा खाते हैं मैंने उन्हें कहा कि यह खराब है तो उन्होंने मुझे एक दो लोग ऐसे बता दिए जो गुटखा नहीं खाते थे और उन्हें कैंसर हुआ, मुझे उनकी नादानी पे तरस आया क्योंकि ये तय नहीं है कि गुटखा नहीं खाने से कैंसर नहीं होगा लेकिन यह तय है कि गुटखा या तंबाकू का सेवन कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है।
तो बस अपने मिलने वालों से हाथ जोड़कर कहते रहें कि इस जहर से बचें।
इस बार पूरे देश में अच्छी बारिश हुई है। उदयपुर में भी सारी झीलें भरी हैं तो उदयपुर घुमने सपरिवार पधारें और तारा संस्थान का अवलोकन भी करें।
सादर...
कल्पना गोयल
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