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Ghumakkad Bane...

Posted on 05-Dec-2018 11:51 AM
घुमक्कड़ बनें...
 
मेरे पापा की उम्र 78 वर्ष है और मम्मी की 73 है। अभी पिछले साल मई में हमने धूमधाम से उनकी शादी की 50वीं सालगिरह मनाई थी। पापा राजस्थान सरकार के खनिज विभाग में एडिशनल डायरेक्टर के पद से 1999 में रिटायर हो गए थे। पापा ने एक ईमानदारी पूर्वक गरिमामय जीवन जिया है लेकिन मुझे ज्यादा याद नहीं कि हम लोग ज्यादा घूमे फिरे हों। भले ही वे हमेशा अच्छे पद पर रहे पर केवल तनख्वाह में जिम्मेदारियों पूरी होना भर होता था लेकिन जब से वे रिटायर हुए हैं जिन्दगी में काफी परिवर्तन आ गया, जिम्मेदारियों खत्म हुईं और पेंशन बढ़ने लगी तो मम्मी-पापा पिछले 18-19 सालों में थोड़ा-थोड़ा घूमने लगे हैं और मैं भी उनका हर एक दो साल में कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम बना देता हूँ। अभी वे मध्य भारत में ग्वालियर, दतिया, खजुराहो, प्रयाग और वाराणसी जा रहे हैं।
 
आप पूछ सकते हैं कि ये सब हमें क्यों बता रहे हो, मकसद यह है कि एक छोटी सी सलाह आप सब को भी दे दूँ कि थोड़ा समय थोड़ा धन और किसी का साथ हो तो आप भी अवश्य घूमने जाइये जो लोग बुजुर्ग हैं उन्हें तो जब तक हाथ पैर चल रहे हैं छोटा-मोटा घूमते रहना चाहिए क्योंकि यही तो एक वक्त है जहाँ छुट्टियों की चिंता नहीं नौकरी की चिंता नहीं, आपके पास बहुत सा समय है तो बस थोड़ा सा घर से निकलें। भारत अपने आप में इतना बड़ा देश है और इतनी विविधता भरा है कि हम एक जनम में पूरा घूम ही नहीं सकते और अगर देश घूम लिया और सामर्थ्य हैं तो विदेश भी घूमें। लेस्टर (इंग्लैण्ड) के रहने वाले मारुति ट्रस्ट के श्री बच्चू भाई कोटेचा साल में कुछ महीनों के लिए भारत आते हैं तो अलग-अलग स्थानों पर घूमते हैं, दान तो वे तारा व अन्य संस्थानों को देते ही हैं लेकिन देश भ्रमण भी उनके कार्यक्रम का हिस्सा जरूर होता है।
 
पता नहीं क्यों ये एक आम धारणा है कि यदि वृद्ध हो तो केवल धर्म-दान-पुण्य ये ही करें लेकिन हमारे देश में जहाँ परिवार की जिम्मेदारियाँ बड़ी होती हैं तो व्यक्ति उनके निर्वहन करते करते ही वृद्ध हो जाता है। खुद के लिए या खुद के ऊपर खर्च करने का समय ही नहीं मिलता। कहीं कहीं तो एल.टी.सी. मिलती भी है तो लोग उसमें भी बिना जाए पैसा उठा लेते हैं ताकि बच्चों के लिए कुछ बचा सकें। मेरी तो दृढ़ धारणा है कि यदि शरीर स्वस्थ हो और थोड़ी आय का स्रोत हो तो इस आय को इस तरह से बाँटें कि दान-धर्म-पुण्य तो हो ही लेकिन उस आय का कुछ हिस्सा घूमने में भी खर्च होवें। राजस्थान सरकार ने तो एक योजना भी चला रखी है जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को देवस्थान विभाग हर जिले से तीर्थयात्रा पर ले जाता है और कुछ यात्राएँ तो हवाई जहाज से भी होती हैं।
 
आप ये ना समझें कि मैं आपसे घूमने जाने के लिए कह रहा हूँ तो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार रहा क्योंकि घूमने जाएँगे तो थोड़ा बजट उसका भी होगा तो तारा में सहयोग का बजट कम होगा, लेकिन मैंने उसका भी रास्ता सोचा है आप बस दो नये दानदाता जोड़ देना तारा में।☺
 
छोड़िये, ये तो विनोद में कहा दिल से तो हम चाहते हैं कि इतने करुणावान हमारे दानदाता देश दुनिया अवश्य देखें और स्वस्थ-प्रसन्न रहें।
 
आदर सहित...
 
दीपेश मित्तल
 
पुनःश्च : हमारे युवा दानदाता भी अपने मम्मी-पापा, दादी-दादा को घूमने भेजें वो ना कहें तो भी टिकिट करा दें बहुत मजा आएगा।

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