HAPPY NEW YEAR
1 जनवरी, 2019 वैसे तो सब कुछ सामान्य ही था लेकिन कैलेण्डर में बदलता हुआ साल दिल में थोड़ा उत्साह तो पैदा कर ही देता है, तो नये साल की नई सुबह में, मैं उठकर पास के गुलाब बाग में मॉर्निंग वॉक को निकला। मेरा रूटीन है कि लगभग एक घंटा रोज तेज कदमों से सैर करता हूँ। आज बाग में रौनक थोड़ी कम थी ठंड तो थी ही लेकिन रोज के परिचित चेहरे भी गायब थे जो कि स्वाभाविक भी था क्योंकि आने वाले साल का स्वागत लोग देर रात तक जाग कर करते हैं तो सुबह उठना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। मैंने भी कोशिश की थी लेकिन रात 11.55 बजे तक ही जाग सका क्योंकि 31 दिसम्बर, 2018 को सुबह गाड़ी से रतलाम गया था और रात को ही लौटा था। हमारे रतलाम निवासी डोनर श्री ओ.सी. जैन सा. ने अपनी स्व. धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला जी की स्मृति में 8 दिवसीय कार्यक्रम रखे थे और समापन प्रसादी 31 दिसम्बर, 2018 को ही थी सो उनके निमंत्रण पर रतलाम जाना हुआ था।
उदयपुर वैसे तो झीलों की नगरी है लेकिन हमारा गुलाब बाग भी बागों का राजा है। इतने बड़े क्षेत्रफल में फैला बाग पेड़ पौधे इतने कि जंगल लगे। लेकिन आज बाग थोड़ा सूना था। वॉक करते हुए थोड़ा समय हुआ था कि सामने से एक युवक नजर आया छोटे कद का गोरा सा ये युवक रोज मिलता है उसके शरीर और मस्तिष्क में थोड़ी विकृति है जिसके कारण वो चल भी ढंग से नहीं पाता है लेकिन रोज वो निधारित दूरी के कई चक्कर लगाता है।
वो नवयुवक मेरे सामने से गुज़र रहा था तो एकदम ठिठका बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ बोला हैप्पी न्यू ईयर। मैं चौक गया लेकिन मैंने भी उसी गर्मजोशी से हैप्पी न्यू ईयर कहा, मन में एक अजीब सी खुशी थी इतनी कि मैं बता ही नहीं सकता कोई अनजान सा व्यक्ति बिना किसी स्वार्थ के आपको ळतममज कर रहा है ये एहसास वाकई सुखद होता है। हम लोग पूरी जिन्दगी लोगों को शुभकामनाएँ देते हैं कोई हमारे अपने होते हैं कोई रिश्तेदार, कोई मित्र या कभी-कभी च्तवमिेपवदंस रिश्तों के कारण या कभी तो मात्र खुशामद करने के लिए भी, लेकिन बिना किसी लेन देन की भावना के कुछ भी मिले तो उसकी क्या कीमत होती है ये उस एक मुस्कुराहट ने बता दिया।
उसी क्षण मन में एक विचार यह भी आया कि आप सब भी तो खुशियाँ दे रहे हैं उन लोगों को जिन्हें आप जानते तक नहीं जो आपको बदले में कुछ भी नहीं दे सकते हैं तो उन लोगों के मन में न जाने कितनी उमंगें उठती होंगी। आप सब के लिए न जाने कितनी दुआएँ देते होंगे वे, क्योंकि बिना जाने पहचाने आप उनकी जिन्दगी में बड़ा बदलाव ला रहे हैं इतना बड़ा कि कुछ बुजुर्ग जिन्हें बिलकुल दिखाई नहीं दे रहा था या कुछ जो बिलकुल बेसहारा थे उनका तो पूरा जीवन बदल दिया आपने।
उनके जीवन के अंतिम साल चैन से निकल रहे हैं। इसी तरह गौरी योजना से लाभांवित महिलाएँ उनकी मुट्ठी में आपने थोड़ी ही सही ताकत भर दी है।
ये जो बिना मतलब का देना है वो बहुमूल्य है थोड़ा या ज्यादा इसके मायने नहीं है लेकिन जिसे भी यह मिला उसकी खुशियाँ अपार हैं। नया साल आप सभी की झोली भी खुशियों से भर दे ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ....
दीपेश मित्तल
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