इंतजार... रोशनी का
आजकल जब भी उदयपुर स्थित तारा संस्थान मुख्यालय जाती हूँ तो ग्राउण्ड फ्लोर पर संस्थान के ‘‘सचिन भाटिया आई हॉस्पीटल’’ में एक मेला सा लगा रहता है, यह मेला उन रोगियों का है जो हॉस्पीटल में अपनी आँखों के ऑपरेशन के लिए आए होते हैं। ये मेला सितम्बर-अक्टूबर माह से शुरू होता है और फिर मार्च अंत तक रहता है। ऐसा नहीं है कि मार्च से अगस्त तक आँखों के रोगी कम हो जाते हों लेकिन भारत में कुछ काम मान्यताओं पर चलते हैं और सालों साल से एक मान्यता यह है कि मोतियाबिन्द का ऑपरेशन सर्दियों में करवाना चाहिए। इस मान्यता के पीछे Logic भी था, गर्म Humid जलवायु में मार्च से अगस्त तक पसीना होता है जिससे ऑपरेशन वाली आँख में Infection हो सकता है। समय के साथ तकनीक बदल गई है और आजकल तो Phaco Machine से जो ऑपरेशन होता है उसमें गर्मी हो था सर्दी Infection के Chances नहीं के बराबर होते हैं लेकिन क्या करें, मान्यता ऐसी चीज है जो मानो शरीर और आत्मा में रच बस जाती है और लोग इंतजार करते हैं कि कब सर्दी आए और कब अपनी आँखों का ऑपरेशन करवाएँ।
लोगों की मान्यता का असर तारा संस्थान के पाँचों अस्पतालों में पड़ता है। मानो कोई मेला लगा हो, ऐसे रोगी आते हैं और सभी चाहते हैं कि हमारा ईलाज अच्छे से अच्छा और जल्दी हो जाए। किंतु हमारी भी अपनी सीमा है, ऑपरेशन थियेटर, डॉक्टर, वार्ड सब कुछ और सबसे महत्त्वपूर्ण इन सबको चलाने के लिए अर्थ। क्योंकि अस्पताल भले ही चैरिटेबल हो लेकिन उसको चलाने के लिए धन तो चाहिए ही जो कि डॉक्टर व सहायक स्टाफ के मानदेय, दवाई व अन्य सहायक कामों में लगता है। हम लोग भरसक प्रयास करते हैं कि कोई भी रोगी निराश ना हो और सभी का ऑपरेशन हो जाए इसके लिए नित नूतन प्रयोग किये जाते हैं जैसे तारा नेत्रालय, उदयपुर में सप्ताहांत में बाहर से डॉक्टर साहब बुलाकर 100 ऑपरेशन अतिरिक्त करवाए जाते हैं और डॉक्टर साहब से भी Request कर ज्यादा ऑपरेशन को कहा जाता है और इसमें उनके लिए कुछ मामूली प्रोत्साहान राशि भी रखी जाती है। नर्सिंग स्टाफ, ओ.टी. स्टाफ आदि को भी अधिक काम के लिए थोड़ा Incentive दिया जाता है। ये सब हम इसलिए करते हैं कि आने वाले रोगियों में बहुतायत पके हुए मोतियाबिन्द (Mature Cataract) रोगियों की होती है, मतलब अधिक समय तक यदि उन्हें इंतजार करवाया तो बिना ऑपरेशन के उनकी आँख में काला पानी हो जाएगा और आँख हमेशा के लिए चली जाएगी। आपको शायद यकीन ना आए पर गूगल पर थोड़ा सा सर्च करें तो पायेंगे कि भारत में अंधता का सबसे बड़ा कारण मोतियाबिन्द है।
हमारे अथक प्रयासों के बावजूद दीपावली के बाद से तारा नेत्रालयों में रोगियों की बाढ़ सी आ जाती है और फिर रोगियों की वेटिंग लिस्ट बनने लगती है। हम लाख प्रयत्न करें तो भी ये बढ़ती ही चली जाती है और उदयपुर स्थित श्री सचिन भाटिया आई हॉस्पीटल में तो दो माह की प्रतीक्षा सूची अभी भी है। यानी आज कोई ऑपरेशन के लिए आए तो उसे ऑपरेशन हेतु दो माह इंतजार करना पड़ेगा। अचरज हमारे लिए भी है लेकिन करें भी क्या?
वैसे तो तारांशु के इस संवाद में बस कुछ कहना होता है आपसे लेकिन इस बार यह Request है कि यदि आप संकल्प लें कि कम से कम 3 रोगियों का ऑपरेशन आप करवायेंगे जिसकी राशि 3500 रु. प्रति ऑपरेशन के हिसाब से 10500 रु. (दस हजार पाँच सौ) है तो आप और हम मिलकर 2500 से अधिक की वेटिंग लिस्ट को आधी तो कर ही सकते हैं।
आपने हमेशा साथ दिया है और आगे भी देते रहेंगे और हजारों नाउम्मीद लोग आपके छोटे से सहयोग से यह रंग बिरंगी दुनिया पुनः देखेंगे।
आदर सहित...
- कल्पना गोयल
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