किसी का यूँ चले जाना...
बात 24 दिसम्बर, 2022 की है, श्री जगदीश राज श्रीमाली (राज्य मंत्री, राजस्थान) तारा संस्थान के उदयपुर स्थित श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम आए हुए थे। विजिट हुआ, वृद्धाश्रम की सुविधा और आवासियों से मिलकर वे बहुत गदगद हुए। छोटा सा गीत संगीत का कार्यक्रम चल रहा था और थोड़ा संवाद भी मंत्री जी साहब ने बुजुर्गों से किया। उदयपुर के गण्यमान्य होने के नाते उनका सम्मान भी किया गया। सम्मान करने मैंने बुलाया त्रिवेणी आंटी को, उनके हाथों से मंत्री जी को अभिनन्दन-पत्र दिलवाया गया। कार्यक्रम के बाद त्रिवेणी आंटी मेरे पास आई और मुझे व कल्पना जी को बार बार बोली कि मुझे आज बहुत अच्छा लगा। वृद्धाश्रम में मेहमान/दानदाता आते रहते हैं और उनका सम्मान हम हमेशा बुजुर्गों के हाथों ही करवाते हैं। प्रायः ये होता है कि जो अंकल आंटी थोड़े एक्टिव हैं उन्हें आगे बुलाकर उनसे सम्मान करवा दिया जाता है लेकिन इस बार न जाने क्या हुआ कि मैंने त्रिवेणी आंटी को बुला लिया और उन्हें इतना अच्छा लगेगा इसका तो मुझे जरा भी एहसास नहीं था। आप भी सोचते होंगे ये सब मैं क्यों बता रहा हूँ इसमें क्या खास है?
चलिए आपका परिचय त्रिवेणी आंटी से करवाते हैं। एक अति दुबली पतली महिला, दूध सी सफेद, हाथ और गर्दन हरदम हिलते रहते। सामान्यतः सलवार कुर्ता पहनने वाली और जब भी कोई फंक्शन हो तो सुन्दर सी साड़ी में लिपटी हुई गुड़िया जैसी पूरा नाम त्रिवेणी सौदागर मूल निवासी कच्छ मांडवी और वृद्धाश्रम में आई मुम्बई से। त्रिवेणी आंटी के दर्द ने उनको विशेष बना दिया था। उनको वृद्धाश्रम में मुम्बई से फ्लाइट में उनकी बिल्डिंग की दो लड़कियाँ लेकर आई थीं। उन्होंने बताया था कि त्रिवेणी आंटी की एक ही बेटी थी और पति भी नहीं थे। बेटी ने शादी इसलिए नहीं की थी कि वह माँ की देखभाल करना चाहती थी। लेकिन कहते हैं ना कि ईश्वर को जो मंजूर होता है वही होता है। माँ की सेवा के लिए अविवाहित रहने वाली बेटी कोरोना में चल बसी और माँ अकेली रह गई। इसलिए उनके बिल्डिंग में रहने वाली लड़कियाँ उन्हें वृद्धाश्रम में ले आई।
बेटी के जाने से त्रिवेणी आंटी को जो Shock लगा उससे Alzheimer जैसी कोई बीमारी हो गई थी। वे एक ही बात को बार बार कहती थी; कोई भी आता तो उन्हें बताती कि वे स्कूल में क्राफ्ट की टीचर थी और कसीदा, क्रोशिया आदि की Classes भी लेती थी। एक सुन्दर सा क्रोशिया का मोबाइल कवर उनके मोबाइल पर हमेशा रहता था और उनकी साड़ी पर कशीदा भी उनके ही हाथों से किया हुआ था। ये सब बातें वो हमेशा सबको बताती थी और आप सौ बार मिलो तो हर बार वही ही रिपीट भी करती थी। उन्हें देखकर शुरू में यह लगा कि नियती इतनी क्रूर क्यों हो जाती है? लेकिन यहाँ वृद्धाश्रम में अपने जैसे बुजुर्गों के बीच त्रिवेणी आंटी थोड़ा Better हो गई थी। उनकी रूम पार्टनर ऊषा पिपालानी आंटी भी उनका खयाल ऐसे रखती थी जैसे छोटी बहन हो - यही तो खूबसूरती है वृद्धाश्रम की। जहाँ हमउम्र अपने मिल जाते हैं और इतने लोग हैं तो कोई दोस्त तो बन ही जाएगा। हमारा शरीर कितना कॉम्प्लिकेटेड है कि एक बार त्रिवेणी आंटी की रूम पार्टनर अपने घर जयपुर गई हुई थी तो वे थोड़ा परेशान हो गईं और किसी ने थोड़ा सा कुछ कह दिया तो वृद्धाश्रम छोड़कर जाने लगी हालांकि ये नहीं पता था कि जाना कहाँ है? मुख्य द्वार बंद किया तो 4.5 फीट व 35 कि.ग्रा. की काया लोहे के दरवाजे पर चढ़ने लगी। थोड़ा सा प्यार दिया तो Normal हो गईं। मैं जब भी वहाँ जाता तो Flying Kiss से स्वागत करती।
मंत्री जी का कार्यक्रम खत्म करके घर पहुँचा तो रात में वृद्धाश्रम के नर्सिंग स्टाफ सतीश का फोन आया कि त्रिवेणी आंटी गिर गई हैं उनके सिर पर चोट आई है और उन्हें अस्पताल ले जा रहे हैं। अस्पताल में उनके टांके लिए गए और जनरल चैक-अप कर उन्हें वापस भेज दिया गया। वापस आई तो उन्हें खून की उल्टी हुई और उन्हें वापस अस्पताल ले गए जहाँ उनको भर्ती कर लिया गया। लगभग 10 दिन तक भर्ती रहीं और उनकी एक Side Paralyzed हो गई थी लेकिन वे और सब तरह से सही थी तो उन्हें छुट्टी दे दी गई। वापस वृद्धाश्रम आई तो Bed Ridden थी लेकिन अपने घर का सुकून तो होगा ही, अपने साथी भी थे जो उनके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे, उनसे बात करते थे। हम भी उनसे मिलने गए तो Respond कर रही थी और डेली रिपोर्ट में आ रहा था कि वे Better हो रही हैं।
दो दिन पहले खबर आई कि वे नहीं रहीं, सदमा सा लगा, आँखों में उनका चेहरा घूमने लगा और ये तकलीफ भी कि वृद्धाश्रम संचालन का एक दुःखद पहलू यह भी है कि कितने लोग हर साल हमारे परिवार को छोड़कर चले जाते हैं। मन को दिलासा देते हैं कि कर्तव्य है तो करते चले लेकिन मन अंदर से दुःखी तो होता ही है।
कहते हैं कि दुःख बाँटने से कम होता है तो बस कुछ हकीकतों को किस्से कहानियों की तरह आपको बयाँ कर देता हूँ क्योंकि आप भी तो हमारा ही परिवार है।
आदर सहित...
- दीपेश मित्तल
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