‘‘मेरी ताकत’’
Strength, ताकत, मजबूती ये सारे शब्द हम महिलाओं में काफी प्रचलित हैं, पर ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि उसने हमें ये भरपूर मात्रा में दी है, बस हनुमान जी की तरह हम ये समझ नहीं पाते, पर जब, कोई हमें बताता है, तब पता चलता है... अच्छा... हमारे अन्दर ये शक्ति है...।
पर आज मैं आपसे बात कर रही हूँ उनकी जो हमारी ताकत है, कि अगर वो हमारे साथ हैं भले ही मानसिक रूप से हो तो हम निशि्ंचत महसूस करते हैं। कुछ सालों पहले एक मुवी आई थी ‘‘मैं हूँ ना’’ बस वैसे ही... माता-पिता, भाई-बहन, मित्र कोई भी हो सकता है... मैं अपनी बात कहूँ तो मेरी एक मित्र हैं मधु। हम कक्षा 9 से साथ पढ़े हैं और बस अब भी जब भी खुद को कमजोर महसूस करती हूँ बस उससे मिल लेती हूँ और मैं मजबूत... हो जाती हूँ... और हाँ मेरी बेटी आस्था के लिए वो ‘‘मैं’’ हूँ...
जब ये सब बात हो रही थी तो मैंने सोचा हमारे इतने बुजुर्ग जो आनन्द वृद्धाश्रम में रह रहे हैं, उनसे पूछा जाय... तो हमारे तारांशु के संपादक राव सा. ने उनसे बात की तो 90 प्रतिशत लोगों ने बताया कि हमारी ताकत तो ‘‘तारा संस्थान’’ है... हमने बोला अरे किसी व्यक्ति का नाम बताइए, तो सबने यही कहा कि चलो फिर आस्था चैनल का नाम लिख लो, या फिर जो हमें यहाँ लेकर आए हमारे मित्र का नाम लिख लो...
तो मुझे लगा कि क्यों न मैं ये खुशनुमा सा धन्यवाद आप तक पहुँचा दूँ कि Basically वो सब ‘‘आप सबका’’ ही नाम ले रहे थे गुदगुदाने वाली खुशी हम सबके हिस्से में आ गई... और आज ही कहीं पढ़ा था, सदाचार बोओगे, तो सम्मान की फसल ही काटोगे।
और हाँ आप सभी जरूर पधारिए, आनन्द वृद्धाश्रम के नामकरण समारोह एवं ‘‘फैशन शो’’ में...। जब आप हम सब मिलते हैं, तो काम करने का Motivation मिलता है, निश्चित ही हम सब एक दूजे की ताकत है..।
आपसे 14-15 दिसम्बर को मिलने के इंतजार में...।
कल्पना गोयल
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