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Om Shanti

Posted on 07-Feb-2022 05:07 PM

ऊँ शांति!

तारांशु का लेख जब लिखने बैठता हूँ तो एक रूपरेखा होती है कि किस विषय पर आप सबसे बात करें और बात इस तरह से हो कि आप हमें समझें क्योंकि तारा के सारे दानदाता तो मुझसे या कल्पना जी से मिले नहीं हैं तो आप हमें कैसे जानेंगे? किंतु इस बार थोड़ी व्यस्तता थी तो कोई विषय सोच में नहीं था।

आज जब पेन कागज लेकर लिखने जा रहा था तो श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम, उदयपुर से फोन आया कि हरिद्वार निवासी और वर्तमान में 14 सितम्बर, 2020 से तारा संस्थान के वृद्धाश्रम में रह रहे श्री लक्ष्मी नारायण सेठ का उदयपुर के एम.बी. अस्पताल में निधन हो गया। 

श्री सेठ की कहानी या यूँ कहें कि उनके जीवन की हकीकत ऐसी है जो सोचने पर विवश कर दे कि अच्छे लोगों के साथ कभी-कभी बुरा क्यों होता है जैसा कि श्री सेठ जी ने बताया उनकी हरिद्वार में कपड़े की दुकान थी जो कि वृद्धावस्था के कारण उन्होंने बेची फिर वे देहरादून रहने लगे। उनके बच्चे नहीं थे तो फरीदाबाद के रिश्तेदारों ने उनसे कहा कि आप पति-पत्नी अपना घर बार बेच कर हमारे घर के ऊपर घर बना के उसमें रहो और हम आपकी देखभाल कर लेंगे। उन्हें भी लगा सही प्रस्ताव है तो वे अपना सब कुछ बेच कर फरीदाबाद शिफ्ट कर गए।

जो भी पैसा संपत्ति बेचने पर मिला उस से उन्होंने उनके रिश्तेदार के घर के ऊपर एक माला बनाया और वहीं रहने लगे। उनकी पत्नी की तबीयत खराब हुई तो थोड़ा पैसा उसमें लग गया और उनके पास ज्यादा कुछ बचा नहीं। फिर क्या था रिश्तेदारों ने भी मुँह फेर लिया और बस वे ऐसी स्थिति में आ गए जहाँ उनके पास ना घर था ना पैसा। ऐसे में वे पहले तारा संस्थान के फरीदाबाद वृद्धाश्रम में गए लेकिन आंटी की स्थिति ऐसी थी कि वे चल फिर नहीं सकती थी और धीरे-धीरे पूरी तरह Bed Ridden हो गई। तो हमने यह निर्णय लिया कि उन्हें उदयपुर स्थित श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दें जिस से उन्हें अलग कमरा मिल जाएगा और बाथरूम भी पास रहेगा क्योंकि आंटी को Catheter (मूत्र की नली) लगा है। आंटी पूरी तरह Bed Ridden थी तो उनका सारा काम अंकल ही करते थे क्योंकि वे स्वस्थ थे। आंटी को खाना खिलना Urine Bag खाली करना, उन्हें तैयार करना सब कुछ।

इस जोड़ी को देखकर तो लगता था कि पति-पत्नी को एक दूसरे की जरूरत सबसे ज्यादा बुढ़ापे में ही होती है क्योंकि बच्चे अच्छे हो तो भी वो उतना समय नहीं दे सकते जो कि पति-पत्नी आपस में एक दूसरे को दे सकते हैं और अंकल ने तो खुद को पूरी तरह से आंटी के लिए समर्पित कर दिया था उन्होंने अपनी जिन्दगी सिर्फ उस कमरे तक सीमित कर ली थी जहाँ वे दोनों रहते थे।

दो दिन पहले सूचना आई कि श्री लक्ष्मी नारायण सेठ जी के पैरों में कोई जख्म हो गया है जो कि नजदीक के अस्पताल में ड्रेसिंग करवाने से भी ठीक नहीं हो रहा तो उन्हें मेडिकल कॉलेज में भेजा जहाँ उन्हें भर्ती कर लिया। आज सुबह सूचना मिली कि उन्हें छुट्टी दे रहे हैं और हमारे यहाँ से अनिल जी उन्हें लेने गए तो पता चला कि शायद उन्हें Massive हार्ट अटैक आया है और वेंटिलेटर पर लिया है। बस में ये आर्टिकल लिखने ही जा रहा था तो समाचार मिला कि श्री लक्ष्मी नारायण सेठ नहीं रहे।

समझ में ही नहीं आया कि कैसे रियेक्ट किया जाये उनकी पत्नी तो जिस दिन उन्हें अस्पताल ले गए तब भी बहुत परेशान हुई खाना भी छोड़ दिया। उन्हें दिलासा दी कि अंकल तो दो दिन में आ जायेंगे तब खाना खाया। अब उन्हें कैसे बतायें और फिर उनकी जो तकलीफ अंकल के जाने की उसे कैसे संभाले। मैं या कल्पना जी ऑफिस में होते हैं वृद्धाश्रम में तो हफ्ते में एक या दो दिन ही जाना होता है लेकिन इस तरह की बीमारी या कोई भी मृत्यु में हमें बराबर सूचना मिलती है।

लगभग 10 वर्ष हो गए तारा संस्थान के वृद्धाश्रमों को चलते हुए और लगभग 60-65 बुजुर्ग हमारे बीच से चले गए तो थोड़ा ये भी हुआ कि हर मृत्यु पर असीम पीड़ा नहीं होती है लेकिन इस तरह से श्री लक्ष्मी नारायण सेठ का जाना स्तब्ध कर देता है और सबसे मुश्किल है उनके साथ वालों को संभालना। कितना भी सोचे कि वृद्धाश्रम है और बुजुर्गों की मृत्यु भी होगी ही लेकिन किसी जीवन के खत्म होने का असर तो होता ही है।

जीवन चलने का नाम है और किसी के जाने से जीवन रुकेगा नहीं और जब हमने वृद्धाश्रम का काम हाथ में लिया है तो मृत्यु को कैसे नकार सकते हैं। बेहद सीधे साधे अंकल श्री लक्ष्मी नारायण सेठ जी और आंटी श्रीमती निर्मला जी के साथ ऐसा क्यों हुआ दुःखद संयोग, प्रारब्ध या ईश्वर की लीला पता नहीं। हमारा काम आंटी को संभालना और उनका दुःख दूर करना है और इसका भरपूर यत्न हम करेंगे ही।

कभी-कभी कुछ बांट लेने से हमारा मन हल्का हो जाता है ऐसा ही कुछ आज आपको ये बताकर लग रहा है। सुख-दुःख सबके जीवन का हिस्सा हैं और हम थोड़े बड़े परिवार (तारा परिवार) के सदस्य हैं तो सुख भी ज्यादा हैं और दुःख भी और सबको संजो कर आगे हम भी बढ़ते रहेंगे। तारा संस्थान के उदयपुर स्थित श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम को नए 5 मंजिला भवन में चलते हुए अप्रैल, 2022 में 4 साल पूरे हो जायेंगे और हमने जैसा सोचा था भवन भर गया है 5 कमरे हमने उदयपुर आने वाले दानदाताओं के लिए रखे थे उनमें भी 3 कमरे वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को दे दिए हैं। लेकिन ईश्वर आगे से व्यवस्था कर दे रहा तो तारा का ही एक और भवन ‘‘माँ द्रौपदी देवी आनन्द वृद्धाश्रम’’ बन कर तैयार हो रहा है जो कि लगभग 6 माह में चालू हो जाएगा। भवन निर्माण में आप भी यदि सहभागी होवें तो श्री लक्ष्मी नारायण सेठ जैसे न जाने कितने बुजुर्गों को अंतिम सांस तक आप और हम मिलकर राहत दे सकेंगे।

आदर सहित....

- दीपेश मित्तल

 

भवन निर्माण सौजन्य राशि :
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘दधीचि’’ रु. 1,00,000/-
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘कर्ण’’ रु. 50,000/-
भवन निर्माण सहयोगी ‘‘भामाशाह’’ रु. 21,000/-

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