‘‘ऑपरेशन का मौसम’’
आप भी सोचते होंगे कि ये कैसा मौसम है लेकिन आँखों के अस्पतालों में सर्दियों का मौसम ‘‘ऑपरेशन का मौसम’’ भी होता है। ये जो हमारा देश है ना इसमें धाराणाओं पर बहुत सी चीजें चलती हैं और मोतियाबिन्द का ऑपरेशन सर्दियों में कराना है ये धारणा सालों साल से चली आ रही है। पहले ये बात Logical थी कि सर्दियों में आँख में Infection का खतरा कम होता था और पसीना भी नहीं होता था तो Recovery अच्छी होती थी लेकिन समय के साथ तकनीक बदली और अब एक छोटे से चीरे से ऑपरेशन (फेको पद्धति से) हो जाता है और Infection का खतरा भी बहुत कम होता है।
लेकिन नहीं, साहब गाँवों से हमारे लोग तो सर्दियों का ही इंतजार करते हैं और तभी आते हैं ऑपरेशन कराने और इन दिनों मोटे-मोटे शॉल या कम्बल में लिपटे रोगियों का रेला सा लगा रहता है। हॉस्पीटलों में,तारा नेत्रालय, उदयपुर में तो दो बार इन कपड़ों में कहीं दबा छुपा मच्छर ऑपरेशन थिएटर में घुस गया तो फिर कुछ दिनों ऑपरेशन रोक कर उसे अच्छे से फ्यूमीगेट करना पड़ा। कैम्पों में हमारी टीमें जाकर उन्हें समझाती है कि आज के जमाने में मौसम सर्द हो या गर्म ऑपरेशन कभी भी करवा सकते हैं। लेकिन, परम्पराओं को तोड़ने में हम थोड़े कच्चे हैं। कुछ लोगों का मोतियाबिन्द तो सर्दियों के इंतजार में इतना पक जाता है कि काले पानी में बदल जाए लेकिन उन्होंने तो बस सुन रखा होता है कि ऑपरेशन तो सर्दी में ही कराना है तो बस सर्दी में ही होगा।
शहर के लोग तो थोड़े सयाने हो गए हैं वो अब देखते हैं कि सर्दियों में भीड़ भाड़ ज्यादा है तो वो गर्मियों में ही ऑपरेशन करवा लेते हैं शायद उन्हें लगता हो कि जब भीड़ कम होगी तो डॉक्टर भी ऑपरेशन तसल्ली से करेगा। जैसे हलवाई की दुकान पर भीड़ कम हो तो जलेबी पतली और करारी मिलती है। लेकिन डॉक्टर को पृथ्वी पर ईश्वर का दूसरा स्वरूप इसलिए कहते हैं कि वो तो बस आँख बचाने का काम करते हैं और भीड़ कम हो या ज्यादा वो बस ये ही सोचते हैं कि रोगी को अच्छे-से-अच्छा दिखे।
सर्दियों में सभी तारा नेत्रालयों में भीड़ बढ़ती है तो Waiting तक देनी पड़ जाती है यानी की ऑपरेशन के लिए कतार। अचरज ना करें तारा नेत्रालय, उदयपुर में तो 3 महीने तक की कतार हो जाती है यानी कि कोई Emergency ना हो तो आपने जिस दिन दिखाया उसके तीन महीने बाद ऑपरेशन होगा। इन दिनों कैम्प भी ज्यादा होते हैं तो वो रोगी भी खूब आते हैं।
आप लोग सोच रहे होंगे कि फिर संस्थान कुछ करती क्यों नहीं और आपको सोचना वाजिब भी है क्योंकि जब आप हमें Support कर रहें तो हम लोगों को क्यों इंतजार करवाएँ? हम कोशिश करते हैं कि रविवार को भी ऑपरेशन होवें। डॉक्टर साहब को Extra बुलाकर भी ऑपरेशन करावें और हमारे डॉक्टर साहब यदि व्यस्त होवें तो अतिरिक्त डॉक्टर साहब बाहर से बुलवा कर Waiting कम करावें। हमारी जिम्मेदारी रोगियों के लिए सर्वाधिक है, उन्हें अच्छा इलाज समय पर उपलब्ध होवे और हाँ शुल्क तो आप दे रहे हैं तो उनके लिए निःशुल्क होवें।
हमारे सारे डॉक्टर साहेबान, ऑप्टोमैट्रिस्ट, नर्सिंग स्टॉफ और हॉस्पीटल मैनेजमेंट को साधुवाद है कि इतनी भीड़ में रोगियों की परेशानी को हँसते मुस्कराते कम करते जा रहे हैं, बिना माथे पर बल लाए।
शायद सेवा का प्रताप ही ऐसा है कि काम, काम ही नहीं लगता है बस एक मौज सी होती है या शायद कुछ नशा सा।
सादर...
दीपेश मित्तल
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