पुनर्संवाद
परिवार का कोई भी सदस्य कुछ दिनों से सम्पर्क में ना होवे तो लगता है कि कुछ खालीपन आ गया है। 7 महीने का समय हो गया आप हम और ‘‘तारांशु’’ के माध्यम से नहीं मिले तो ऐसा लग रहा है मानो बहुत कुछ छूट गया है। वैसे तो तारांशु एक तरफा संवाद का प्लेटफॉर्म है जहाँ हम आपको तारा संस्थान की गतिविधियों के बारे में बताते हैं और कभी अपने मन की बात भी आपसे बाँट लेते हैं, बाँटने से सुख बढ़ता है और दुःख हल्का हो जाता है, ये सृष्टि का नियम है। लेकिन, ये एक तरफा संवाद भी दुतरफा हो जाता है जब आप अपने पत्र फोन या मैसेज के जरिए अपनी भावनाएँ भेजते हैं। तारा संस्थान को काम करते हुए 9 साल से ज्यादा हो गए तब से यह संवेदनाओं का आदान प्रदान निरंतर जारी रहा और इस सबके कारण ही सेवाकार्य हो पाये। व्हॉट्सएप से थोड़ा प्रयास भी किया कि आपको संस्थान की जानकारी देते रहें और मैसेज से दान की अपील भी की कि कम-से-कम 3 माह तक 5000/- रु. आप लोग यदि दे तो संस्थान की गतिविधियाँ लॉकडाउन में भी चलाने में मदद मिले। मेरे पास शब्द ही नहीं है कि आप सभी ने हमें उस समय सहयोग दिया जब आप ख्ुद भी तकलीफ में थे और उस भाव को धन्यवाद देना भी बहुत ही छोटा होगा तो बस उसके लिए आपको अनेक प्रणाम। आप में से कुछ के तो मैसेज भी आए कि हम बैंक जाने में असमर्थ हैं और कुछ दानदाताओं ने काम काज सही ना होने के कारण भी अपनी असमर्थता बताई। थोड़ा आप सबने दिया, थोड़ा हमने खर्चों में कटौती की और इस मुश्किल वक्त को निकाल दिया।
तारा संस्थान के कामकाज का सार निकालें तो हमने लॉकडाउन के महीनों में सारे हॉस्पीटल बंद कर दिए और जैसे-जैसे लॉकडाउन खुला, हॉस्पीटल भी खोले। निश्चित तौर पर कोरोना का भय ऐसा था कि डॉक्टर साहेबान और हॉस्पीटल स्टॉफ भी डरा हुआ था लेकिन काम तो करना ही था सो अब सावधानियों के साथ सभी 5 अस्पतालों में मोतियाबिन्द के ऑपरेशन हो रहे हैं। वृद्धाश्रम चलते रहे वहाँ के मैनेजर, बाइयाँ आदि लॉकडाउन/कर्फ्यू में भी जाते थे। हमारे ड्राइवर भी उस कठिन समय में भी बुजुर्गों को हॉस्पीटल लाने ले जाने का कार्य करते रहे। किसी के मन में एक बार भी यह नहीं आया कि कर्फ्यू है और मैं काम कर रहा हूँ सबने अपनी जिम्मेदारी समझी और हमारे बुजुर्गों को भी ये लगा होगा कि घर में भी लॉकडाउन के समय उतनी अच्छी देखभाल नहीं हुई होती जितनी यहाँ हुई।
तृप्ति योजना के लाभार्थियों को एक साथ 3-4 महीने का सामान और नकद दे दिया। गौरी योजना में तो खाते में पैसा डालते हैं सो उसमें कोई दिक्कत नहीं थी। बच्चों का स्कूल तो चला नहीं लेकिन अध्यापिकाएँ अपनी तरफ से प्रयास कर रही हैं कुछ वीडियो बना कर बच्चों को भेजने का, हालांकि काफी बच्चों के माता-पिता के पास स्मार्टफोन नहीं है, सो दिक्कत तो है।
वो ऐसा है ना कि बच्चे क्या कर रहे हैं उसकी रिपोर्टिंग अपने माता-पिता या बड़ों को करते हैं ना ऐसा ही कुछ आपको ये सब बताते हुए लग रहा है और आप सब भी तो हमें वैसा ही स्नेह देते हैं तो ये जानने का हक भी है आपको।
नयी गतिविधियों में ‘‘ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम’’ का भूमि पूजन और निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है। उम्मीद है कि आप सबके आशीर्वाद और सहयोग से और अधिक बुजुर्गों के लिए एक और घर बनकर तैयार हो जाएगा। वैसे तो सालभर ही हमारे पास बुजुर्गों के पत्र या फोन आते ही थे वृद्धाश्रम में रहने के लिए पर लेकिन लॉकडाउन के समय इनकी संख्या बढ़ गई। ऐसा लगता है कि कई अकेले बुजुर्ग जो घरों में बंद थे तो परेशान हो गए। इसके साथ ही उदयपुर में ‘‘ओमदीप हॉस्पीटल एवं डाइग्नोस्टिक सेंटर’’ भी इसी नवरात्रि में प्रारम्भ होगा जिसमें आधी दरों पर सारी जाँचें व रियायती दर पर फिजिशियन की सलाह भी मिलेगी। उक्त दोनों ही प्रकल्पों में मुख्य सहयोगी आदरणीय ओमप्रकाश जी और दीपा जी मल्होत्रा हैं जो अभी फरीदाबाद में रह रहे हैं और आपने ही फरीदाबाद वृद्धाश्रम का भवन भी हमें दिया है।
कभी-कभी कहने सुनने को इतना होता है कि समझ ही नहीं आता कि क्या कहें और क्या नहीं, ऐसा ही कुछ अभी मुझे लग रहा है। मन में यह आशा हिलोरे ले रही है कि बस जल्दी से ये कोरोना काल खत्म हो और हम एक बड़ा सा कार्यक्रम रखें, फिर आप और हम मिलें, कुछ हँसी-ठहाके, गप्पें, गिले-शिकवे सब कुछ हो। मुझे पता है कि अभी ये दूर है पर मेरी उम्मीद पे तो मेरा हक है ना, मुझे विश्वास है कि आप भी ऐसा ही कुछ सोच रहे होंगे। हम तो हैं ही सामाजिक प्राणी, थोड़ा खाना-पीना कम हो तो चला लेंगे लेकिन अपनों का साथ ना हो तो दो कदम चलना भी मुश्किल हो जाए।
आपसे बस यही त्मुनमेज है कि थोड़ी सी सावधानी आप भी रखें और हम भी, और ऐसा ही हमारे परिजनों से भी रखवाएँ ताकि जब मिलें तो बाँटने को अपार अपार खुशियाँ हों। जैसे मैंने आपसे अपने दिल की बात की वैसा आप भी हमें लिख सकते हैं। हमें भी अच्छा लगेगा आपकी इन विशेष परिस्थितियों के अनुभव की जानकारी से। आपश्री का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहे इसी कामना के साथ.....
सादर....
कल्पना गोयल
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