RETIRED BUT NOT TIRED
Posted on 11-Sep-2018 03:15 PM
RETIRED BUT NOT TIRED
मेरे पापा आदरणीय कैलाश जी ‘मानव’ हमेशा एक पंक्ति कहते हैं कि Retired but not tired और ये बात उनके पास आने वाले बुजुर्गों में जोश और उत्साह का संचार करती है। पापा से मिलने आने वाले दानदाताओं में अधिकतर बुजुर्ग ही होते हैं और जब तो ये Line सुनते हैं तो बहुत खुश होते हैं। इस Line के स्रोत तो पापा के गुरु और उदयपुर में ईश्वर तुल्य माने जाने वाले आदरणीय स्व. डाॅ. आर. के. अग्रवाल सा. थे। उन्होंने ना सिर्फ इन पंक्तियों को बार-बार कहा वरन इन पर खरे उतरे, रिटार्यमेंट के बाद भी डाॅ. अग्रवाल सा. बहुत से अस्पतालों में जुड़कर सेवाएँ देते रहे, नारायण सेवा संस्थान के तो संस्थापक सदस्यों में आप थे ही। मैंने बचपन में देखा कि डाॅ. आर.के. अग्रवाल आदिवासी गाँवों के शिविरों में जाकर बच्चों को नहलाते उनके नाखून काटते, मेडिकल काॅलेज में सर्जरी विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष आदिवासी बच्चों के बीच इस तरह मस्त हो जाते मानो यही उनकी दुनिया हो। पापा भी डाॅ. अग्रवाल सा. की ही तरह बिना थके उसी ऊर्जा से काम करते हैं बिना उम्र को अपने ऊपर हावी किये।
अभी एक फिल्म आई थी ‘‘102 नाॅट आउट’’, मुझे लगता है कि सभी बुजुर्गों को वो जरूर देखनी चाहिये, उसमें एकदम सही बताया गया है कि आदमी Tired तो सिर्फ अपनी सोच से होता है, सोच में उमंग है तो जीवन भी उत्साह से भरा होगा और सोच में थकान है तो जिन्दगी बोझ होगी। आज के युग में जब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं माॅर्निंग वाॅक, योग प्राणायाम सब करते हैं और आधुनिक चिकित्सा ने भी जीवन को काफी बढ़ा दिया है तो फिर 60, 62 या 65 में रिटायरमेंट के बाद खुद को बुढ़ा या थका हुआ मान लेना शायद नादानी होगी। अभी थोड़े दिनों पहले एक एफ.एम. रेडियो वालों ने पार्लर वालों को बुला कर वृद्धाश्रम के महिलाओं का फेशियल, बाल कलर आदि किए तो उन सब की शर्माने वाली अदाएँ कहीं भी यह एहसास नहीं कराती थी कि वे थकी हुई हैं। वृद्धाश्रम के कालूलाल जी जैन को देखकर तो अच्छे से अच्छे जवान गशि खा जाए उनकी चाल में गति... इतना काम वो करते हैं।
आनन्द वृद्धाश्रम में जो भी रहने आते हैं और अगर काम करना चाहते हैं तो उन्हें उनके योग्य कार्य अवश्य दिया जाता है। हमें पता हैं कि व्यस्तता उनकी आयु बढ़ा देगी और साथ ही उन्हें स्वस्थ भी रखेगी। वृद्धाश्रम में चल रही संगीत की क्लास भी उसी का एक हिस्सा है ताकि जो वृद्ध सिर्फ चल फिर भर सकते हों वो भी कुछ समय तो व्यस्त रहकर मन को खुशी दे सकें।
इस बार की तारांशु का Topic ही हमने ‘‘व्यस्त रहें मस्त रहें’’ दिया है, उन लोगों को समर्पित करते हुए जो वृद्धाश्रम में रहकर कार्य कर रहे हैं। उम्र में छोटी हूँ लेकिन फिर भी अनुभव से एक छोटी सी राय हमसे जुड़े हमारे परिवार के बुजुर्गों को दे रही हूँ कि आपको रिटायर तो सिर्फ इसलिए किया गया है कि आप व्यस्त रहते हुए, स्वस्थ रहते हुए, मस्त रहते हुए समाज को अपना समय दें और मैं यकीन दिलाती हूँ आप कभी भी Tired नहीं होंगे।
कल्पना गोयल