Roshni Ka Lutf
Posted on 05-Dec-2018 11:48 AM
रोशनी का लुत्फ
सर्दियाँ शुरू होते ही बाजारों में रेहड़ी वाले गजक, चिक्की, रेवड़ी लेकर निकलने लगते हैं, कढ़ाई वाले दूध की दुकानों पर देर रात तक मजमा लगता रहता है, टोपी, शॉल, कंबल, दास्तानें, रजाइयाँ सब पेटियों से निकलने लगती है, भारत का मजा ही तो ये है कि यहाँ हर मौसम अपनी शान से आता है और उस मौसम के साथ उसके अंदाज भी आते हैं। जनरल मेडिसन (आम बीमारियाँ जैसे-जुखाम, बुखार आदि) के अस्पतालों में सर्दियाँ Healthy Season कहलाती हैं मतलब मरीज कम होते हैं क्योंकि शायद तेज सर्दी में बेचारे कीटाणु भी मर जाते होंगे। लेकिन मोतियाबिन्द के ऑपरेशन कराने वाले सर्दियों में एकाएक बढ़ जाते हैं। जो ओ.पी.डी. तारा के सभी नेत्रालयों में मिलाकर 450-500 होती थी वो सीधी 800 तक पहुँच जाती है और प्रतिमाह ऑपरेशन जो 500-550 तक हो रहे थे वो 1000 या और भी ज्यादा तक पहुँचने लगते हैं।
हमारे यहाँ मान्यताओं पर बहुत जोर होता है, जो बात सालों पहले मोतियाबिन्द के लिए मानी जाती थी कि गर्मी और बारिश में आँख का ऑपरेशन कराने पर इंफेक्शन हो जाता है वो अभी भी लोग मानते हैं जबकि यह पूरी तरह गलत है क्योंकि आजकल फेको या एस.आई.सी.एस. पद्धति में ऑपरेशन होता है तो चीरा बहुत ही छोटा होता है तो उसमें इंफेक्शन की संभावना काफी कम रहती है और ईश्वर की असीम कृपा है कि तारा में सभी ऑपरेशन अच्छे से हो रहे हैं। मान्यताएँ बदलेंगी और बदलने भी लगी है लेकिन जब तक पूरी नहीं बदलती सर्दियाँ चारों तारा नेत्रालयों के लिए कमर कस के काम करने का वक्त होता है। काम करना मजेदार भी होता है। हमारे सारे डॉक्टर्स और साथ का स्टॉफ भी काम को एन्जॉय करता है। कई डॉक्टर्स को बड़े प्राइवेट अस्पताल बुलाते भी हैं तो भी वे नहीं जाते क्योंकि खाली बैठना किसी भी प्रोफेशनल को पसंद नहीं। इतनी मेहनत से की गई पढ़ाई और बेहतरीन दिमाग के स्वामी डॉक्टर्स अपनी योग्यता का पूरा परिणाम चाहते हैं और तारा में किसी ऐसे बुजुर्ग की जाती हुई रोशनी को ये बचा लेते हैं जो पैसे के बिना अंधा हो जाता, तो उनको अपनी मेहनत का दस गुना मिलता प्रतीत होता है। कई बार तो मैं अपने डॉक्टर्स से मजाक में कहती हूँ कि आप लोग तो हम सब के हिस्से की दुआएँ ले जाते हैं, यह शुद्ध मजाक होता है वैसे मैं यह पक्का मानती हूँ कि किसी को किसी भी तरह से मिली खुशी चाहे डायरेक्ट दी हो या इनडायरेक्ट हमें भी खुशी देती ही है। ये तो प्रकृति का भी नियम है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। आप भी तारा के माध्यम से हो रहे कामों के हर रोज साक्षी ना हों तो भी आप तक आपके अच्छे काम की प्रतिक्रिया अवश्य पहुँचेगी। कई बार किन्हीं दानदाता को जब रोगियों से मिलवाने ले जाती हूँ और उसमें Hyper Mature Cataract (एकदम पका हुआ मोतिया) वाले रोगी मिलते हैं तो विचार उठते हैं कि आप और हम ना होते तो? लेकिन होते क्यों नहीं और हकीकत तो ये है कि हम हैं, पूरी तरह से, और एक आँख भी हमारे प्रयास से रोशनी खोने से बचती है तो उस एक व्यक्ति के जीवन के बचे हुए साल हमने खुशनुमा बना दिए। अब तो ये खुशी भी है कि तारा नेत्रालय उदयपुर में माह में एक बार रेटिना विशेषज्ञ भी निःशुल्क जाँच करेंगे और दुआ करिये कि एक दिन हम लोग रेटिना के निःशुल्क ऑपरेशन भी कर पाएँ।
इन सर्दियों में भी चारों नेत्रालय जम के काम करेंगे और आप भी गजक और रेवड़ी के सुख के साथ लोगों की आँखों को रोशनी देने का लुत्फ उठाइये।
कल्पना गोयल