साथ जन्मां का...
तारा संस्थान में कार्य करते हुए बहुत सारे खुबसुरत लोगों से मिलना होता है, खुबसूरती चेहरे या शरीर से नहीं, मन से... जिनका मन सुन्दर होता है वे चाहे कैसे भी दिखने में हो कितनी भी उम्र के हो जाए उनकी खुबसूरती कभी समाप्त नहीं होती उनका आकर्षण ताउम्र बना रहता है.... बहुत से सुंदर लोगों से मिलना तारा में होता है और सामान्य जन से ज्यादा सौभाग्यशाली हम हैं कि हमारा मिलना अच्छे दिल वाले लोगों से होता है..... जो भी अच्छे काम में सहायोग करते हैं वे निश्चित ही एक बेहद अच्छे दिल के मालिक होते हैं तभी उनका दिल असहाय लोगां के लिए धड़कता हैं।
ऐसे ही एक खुबसूरत जोड़ी है श्रीमती उर्मिला जी माहेश्वरी और श्री गिरीश चंद्र जी माहेश्वरी। आप दोनों कासगंज उŸार प्रदेश के रहने वाले हैं। दोनो की ही उम्र 70 के आसपास है। उर्मिला जी हिंदी की लेक्चरार रहीं और श्री गिरीश जी स्नउमग ळतवनच में स्टोर मैनेजर रहे थे...... इनके दो बेटियाँ व एक बेटा है। आप दोनों नारायण सेवा संस्थान व तारा संस्थान से पिछले कई वर्षो से जुडे हैं। कुछ माह पहले आप दोनों तारा संस्थान में पधारे व डोनेशन तो दिया ही साथ में इच्छा व्यक्त की कि कुछ दिन वृद्धाश्रम के आवासियों के साथ रहेगें। और इन्ही दिनों आप दोनों को नजदीक से जानने का अवसर प्राप्त हुआ। पति-पत्नि का रिश्ता कितना सुंदर हो सकता है इसकी आप दोनो मिसाल है। 2003 में उर्मिला आंटी रिटायर हुई तभी उन्हें च्ंतंसलेपे हो गया था और उस अवस्था में उनकी सेवा और संपूर्ण देखरेख गिरीश अंकल ने ही की थी।
च्ंतंसलेपे से उबर गई तो उनके घुटनों में समस्या हो गई, उनसे ढंग से चला भी नहीं जाता था तो अंकल ने उनके घुटनों का भी ऑपरेशन करवाया और इस दौरान भी उनकी सारी सार-संभाल अंकल ने ही की।
पति-पत्नि के रिश्ते के क्या मायने होते है ये इस जोडी के देखकर समझा जा सकता है आज.... आंटी को यदि अंकल 10 मिनट के लिए भी बिना बताए इधर उधर हो जाये तो आंटी के दिल की धड़कन बढ जाती है। वे अंकल को ज़रा भी इधर उधर नही होने देती और अंकल भी आंटी के इस भाव का पूरा सम्मान करते है और सम्मान भी पूरे आनंद के साथ बिना किसी दबाव या बंधन को महसूस किए। जहॉ भी जाते हैं दोनों जने साथ जाते हैं। अभी हाल ही में सम्पन्न हुए विकलांग विवाह में जब अंकल आंटी बहुत से लोगो में बैठे थे और अंकल उठ के जाने लगे तो आंटी की निगाह उन पर पडी तो वे वापस बैठ गए शायद वे उस प्यार के बंधन का आनंद लेते होगें। कोई पति अपनी पत्नी की ब्ंतम कैसे कर सकता है उसके उदाहरण गिरीश अंकल हैं और उनका यह प्रेम जो भी देखता है वो उन पर निहाल हो जाता है।
एक उम्र के बाद जब शरीर निर्बल होने लगता है तो सबसे ज्यादा जरूरत मानसिक सहारे की होती है और जब जीवनसाथी गिरीश अंकल जैसा हो तो फिर क्या कहने लेकिन सबके भाग्य में ऐसा नही होता है....... आनन्द वृद्धाश्रम में रह रहे आवासियों को शायद यही सुख मिलता है। जीवनसाथी तो नहीं पर बहुत से संगी साथी बन जाते हैं कि हाँ हम सब हैं ना और यही ‘‘मै’’ शब्द जब ‘‘हम’’ बन जाता है तो जीवन की बहुत सारी मुसीबतें कम हो जाती हैं........ और हाँ आनन्द वृद्धाश्रम आवासियों के इस ‘‘हम’’ में आप भी शामिल हैं क्यों अप्रत्यक्ष तो आप भी उनसे जुड़ ही रहे हैं....... आपका और हमारा ‘‘हम’’ ऐसे ही बना रहे इस विश्वास के साथ.....
कल्पना गोयल
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