Shikhar Bhargava Public School : Rahat Ek Vidhva Maa Ke Liye
Posted on 20-Aug-2018 11:40 AM
शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल : राहत एक विधवा माँ के लिए
जुलाई का महीना वैसे तो भारत में वर्षा ऋतु का महीना होता है आकाश से बरसने वाला पानी सब ओर हरियाली लाता है लकिन ये महिना कुछ लोगों के माथे पर परेशानी की सलवटें भी लाता है। यह परेशानी बच्चों के नए शुरू हो रहे शिक्षा सत्र के खर्चे की होती है जिसमें बच्चों के स्कूल की फीस, स्कूल ड्रेस, किताबें, स्टेशनरियाँ, बस खर्च की व्यवस्था करनी होती है। मुझे लगता है कि जो भी परिवार जीवन में थोड़े से संघर्ष से गुजरे हो उन्हें इस परेशानी का एहसास कभी-न-कभी हुआ ही होगा। लेकिन कुछ छोटी छोटी बच्चियाँ हैं जिनके जीवन का एकमात्र सहारा उनका पति नहीं रहा, अपने नन्हें मुन्नों को पढ़ाने की जद्धोजहद करती थी उनके लिए आशा की किरण है ‘‘शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल’’। गौरी योजना से लाभांवित इन महिलाओं के लिए शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल राहत भरा है क्योंकि अब ये अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा बिना चिंता के दे पा रही हैं।
जितनी भी ऐसी विधवा महिलाओं से बात करती हूँ सबकी बस एक ही सोच होती है कि उनके बच्चे अच्छे से पढ़ लिख जाएँ, वो अपनी सारी इच्छाएँ छोड़ कर सब बच्चों को काबिल बनाने का सपना देखती हैं यही पर तारा संस्थान का शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल का रोल होता है जहाँ ऐसे बच्चों को अच्छी शिक्षा पूरी तरह निःशुल्क दी जाती है साथ ही आने जाने की व्यवस्था, किताबें, यूनिफॉर्म सब कुछ संस्थान की तरफ से होता है। ये ही नहीं सालभर में कई कार्यक्रम होते हैं पिकनिक पर ले जाते हैं और बहुत से उपहार जैसे-कभी स्कूल बैग, पानी की बोतल या टिफिन भी बच्चों को दिए जाते हैं। शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल एक ऐसा स्कूल है जहाँ शिक्षा एक व्यवसाय नहीं है।
अभी ये स्कूल 8वीं तक ही है लेकिन मुझे लगता है कि यदि नींव मजबूत हो तो इमारत सुन्दर बनेगी। इस स्कूल की प्रेरणा और इसके लिए मुख्य सहयोग तारा संस्थान के मुख्य संरक्षक श्री नगेन्द्र प्रकाश जी भार्गव ने दिया और आप साल में कम-से-कम एक बार आकर बच्चों की और शिक्षकों की हौसला अफ़जाई करते हैं साथ ही आपके परिजन बहुत से उपहार भी लाते हैं।
तो ये जुलाई उन माँओं के लिए कितना आसान होगा जिनके बच्चे इस साल से इस स्कूल में पढ़ेंगे और ये सब संभव हो रहा भार्गव परिवार और आप सबके कारण जो इन बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।
आभार सहित...!
कल्पना गोयल