शुभ नूतन वर्ष 2022
आपके पास जब तारांशु का यह अंक आएगा तब तक हम नये वर्ष में प्रवेश कर गए होंगे। तो सबसे पहले ‘‘नूतन वर्ष का अभिनन्दन व मेरा प्रणाम’’ ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सभी को सपरिवार स्वस्थ व प्रसन्न रखे।
किसी भी शब्द के आगे ‘‘नया’’ जुड़ जाये तो उसमें ताजगी आ जाती है ऐसा ही कुछ नये साल में भी होता और ये नव वर्ष की ताजगी हमारे अन्दर भी नयी ऊर्जा का संचार करती है। वैसे तो तारीख दिन, महीना व साल की गणना के लिए थी लेकिन ये 365 दिन का चक्र जब खत्म होता है और नया साल आता है तो मन उमंग से भर जाता है और मानो अगले 365 दिन के लिए ताकत आ जाती है।
तारा संस्थान जो भी कार्य कर रही है उसमें आँकड़ों का बहुत महत्त्व नहीं होता है लेकिन इस सच्चाई को हम नकार भी नहीं सकते कि आँकड़े खुशी देते हैं। अभी कुछ दिन पहले मैं देख रही थी कि तारा के सारे अस्पतालों (उदयपुर, दिल्ली, मुम्बई, फरीदाबाद व लोनी) में कुल मिलाकर लगभग 95000 (पच्चानवे हजार) मोतियाबिन्द के ऑपरेशन हो गए हैं और मार्च, 2022 तक हम एक लाख मोतियाबिन्द के ऑपरेशन पूरे कर चुके होंगे। ये आंकड़ा बड़ा है या नहीं अलग अलग राय हो सकती है लेकिन ये पक्का है कि आप और हम संतोष कर सकते हैं कि हमने मिलकर दस वर्ष से थोड़े अधिक समय में इतना काम किया है।
वृद्धाश्रमों में जो काम हो रहा है उसे संख्या में नहीं तोला जा सकता है क्योंकि ऐसे भी बुजुर्ग हैं जो पिछले 7-8 सालों से वृद्धाश्रम में निवास कर रहे हैं। वृद्धाश्रम में आप और हम इसलिए खुश हो सकते हैं कि अभी तक स्थान की कमी के कारण हमें किन्हीं भी बुजुर्ग को मना नहीं करना पड़ा और अब जब उदयपुर स्थित ‘‘श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम’’ भर सा गया है हम उस कगार पर हैं कि अगले 6-7 महीनों में नया वृद्धाश्रम बनकर तैयार हो जाएगा। ‘‘तारा’’ में कोई संविधान नहीं है कि हम जितने भी बुजुर्ग आयेंगे उतना स्थान बनाते जायेंगे और ना ही कोई गर्ववश यह कहते हैं, लेकिन अभी तक तो ये हुआ है कि कोई भी बुजुर्ग आए और उन्हें जगह मिल गई। उम्मीद करते हैं कि जब ये नवीन आनन्द वृद्धाश्रम भवन बनकर तैयार होगा और भरने लगेगा तक कुछ नए दानदाता जुड़ेंगे और जरूरत हुई तो फिर कुछ नया होगा।
अन्नदान (तृप्ति) और विधवा सहयोग (गौरी) ये कुछ ऐसी योजनाएँ हैं जिनमें सीधी गणित लगाई जा सकती है कि जितना दान उतने लाभार्थियों को सहयोग लेकिन यकीन मानिये कि हमने अभी तक इसलिए किसी की सहायता नहीं रोकी कि उस योजना हेतु डोनर ने दान नहीं दिया है।
अंग्रेजी महीनों के साल शुरू होने पर भी कैसा संयोग है कि नए साल में उत्तरायण आता है और हमारी संस्कृति की समृद्धता देखिए मकर संक्रांति को दान का भी पर्व मानते हैं शायद हमारे पूर्वजों को पता था कि समय-समय पर दान देने के भाव से नई पीढ़ियों में भी ये संस्कार आयेगा कि खुद से हट कर दूसरों के लिए भी कुछ सोचा जाए और सच में ऐसा हुआ भी है आजकल बहुत से बच्चे और युवा भी संस्थान से जुड़ने के लिए आगे आते हैं और जब नई पीढ़ी भी अच्छे कामों से जुड़ने लगी है तो फिर चिंता की कोई बात ही नहीं है आगे और भी वृद्धाश्रम बनते रहेंगे और जितने भी जरूरतमंद बुजुर्ग होंगे उन्हें आश्रय भी मिलता रहेगा चाहे ‘‘तारा’’ दे या कोई और।
एक बार पुनः नव वर्ष 2022 की शुभकामनाएँ
सादर...
- कल्पना गोयल
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