शुभागमन नये दशक का
तारांशु की पिछले अंक में कोरोना से लड़ाई के बारे में बताया था और उस लड़ाई में कुछ तकलीफें भी हुई। जब नये साल और नये दशक में प्रवेश कर रहे हैं तो कुछ अच्छा समाचार लेकर आए हैं। इस समाचार में भी कोरोना से लड़ाई है लेकिन इस बार हम जीत गए। बात नवम्बर के पहले सप्ताह की है। मैं और कल्पना जी फरीदाबाद गए थे वहाँ श्री ओमप्रकाश जी और दीपा जी मल्होत्रा हैं जिन्होंने फरीदाबाद का ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम का भवन दिया है। दीपा जी का स्वास्थ्य कुछ अच्छा नहीं है सो उनसे मिलने गए थे। वहाँ जब थे तो सब ठीक ही लग रहा था। एक सरदार अंकल थे उनको और वृद्धाश्रम के केयरटेकर कमलेश जी को हल्की सी खाँसी थी। जिसके लिए उन दोनों ने कहा कि हमें हमेशा ही होती है। मौसम बदलता है तो और उसी दिन AIIMS दिल्ली की टीम भी आई थी। उन लोगों की स्वास्थ्य जाँच करने तो उन्हें भी सब ठीक ही लगा। 8 नवम्बर को हम उदयपुर आए और एक दो दिन बाद खबर आई कि सरदार अंकल को साँस में दिक्कत हुई और उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है उन्हें AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया है। मेरे मन में एक विचार आया कि मुझसे गलती तो नहीं हुई क्योंकि थोड़ी खांसी थी तो उसी वक्त उनका कोरोना टेस्ट कराने को कहना था पर शायद इसलिए कहना रह गया कि जब AIIMS के डॉक्टर देख रहे हैं तो भला मेरी क्या बिसात। खैर, जो होना था हो गया सो अब तुरंत ही सबके कोरोना टेस्ट करवाए गए और जैसा अंदेशा था वैसा हो गया। 9 बुजुर्ग कोरोना पॉजिटिव थे। साथ ही आदरणीय ओमप्रकाश जी मल्होत्रा सा. भी और तो और दोनों केयरटेकर कमलेश जी और प्रकाश जी भी। दिल्ली में कोरोना की भारी लहर थी किसी अस्पताल में जगह नहीं थी ऐसे में थोड़ी घबराहट तो हुई पर इस बार पिछले अनुभव से हम थोड़ा तैयार भी थे।
मुझे लगता है कि धीरज बड़ी-से-बड़ी मुसीबत में काम आता है। हमने प्रकाश जी और कमलेश जी को फरीदाबाद के ही कोविड अस्पताल में भर्ती कराया और उदयपुर से नर्स गोविन्द जी और उनके साथ दो जनों को और भेज दिया। सारे बुजुर्ग और मल्होत्रा अंकल ठीक थे उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं थी लेकिन समस्या ये थी कि खाना बनाने वाले और उनको Support करने वाले सब पॉजिटिव थे। ये निर्णय लिया गया कि खाना बाहर से मँगवाया जाए और जो बाईजी हैं वो नाश्ता चाय बना लें। मुश्किल समय था पर अंत सुखद हुआ और इस बार हम बिना नुकसान के निकल गए। सरदार अंकल AIIMS से ठीक होकर आ गए, कमलेश जी प्रकाश जी और सब बुजुर्ग सही हो गए और सबसे बड़ी बात मल्होत्रा साहब जो कि डाइबिटिज के लिए इन्सूलिन भी लेते हैं, वे भी सही हो गए। मुझे लगता है कि वर्ष 2020 जाते जाते हमें ये सबसे बड़ी सौगात दे गया।
अब हम 2021 में प्रवेश कर गए हैं। वैक्सीन को भी अनुमति मिल गई है। उम्मीदें बहुत हैं और लगता है पूरी भी होंगी। सारे तारा नेत्रालय मरीजों से भरे हुए हैं और लगभग 2000 मोतियाबिन्द ऑपरेशन हर माह हो रहे हैं। हमारे डॉक्टर्स खुद भी सावधानी रख कर और अपने साथी स्टॉफ को भी एहतियात बताते हुए ऑपरेशन कर रहे हैं। जब कोई काम अच्छा हो रहा हो और निःशुल्क भी हो तो लोगों का विश्वास अपने आप पर बन जाता है और इसी विश्वास से रोगियों की भीड़ सारे तारा नेत्रालयों में ही रही है। डॉक्टर्स के साथ ही हमारे जो भी साथी हॉस्पीटल व्यवस्थाओं को बना रहे हैं, वे भी धन्यवाद के पात्र हैं।
वृद्धाश्रमों के हमारे बुजुर्ग भी अब शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर हैं और खुश भी हैं कि उन्होंने भी एक महामारी को मात दी है। कुछ नये सदस्य भी हमारे वृद्धाश्रमों को अपना घर बना कर रहने आए हैं।
तृप्ति, गौरी सभी योजनाओं का लाभ भी ऐसे ही हम दे रहे हैं और नये Beneficiary भी हमने जोड़ें हैं।
सबसे बड़ी बात कि हमने नवम्बर से अपने सभी कार्मिकों को पूरा वेतन भी देना शुरू कर दिया है क्योंकि काम भी बहुत हो रहा है और उन्हें भी दिक्कत रही होगी कम मानदेय पाकर।
ये सब बातें आपको बता तो रहा हूँ पर इन सबके लिए धन्यवाद के पात्र आप लोग हैं जिन्होंने एक मुश्किल समय में हमारा साथ दिया। वर्ष 2020 आप सबको भी समर्पित रहेगा जिन्होंने अपनी मुश्किलों में भी ‘तारा’ को सहेज के रखा, हमने जब कहा कि हमें जरूरत है उसी क्षण आपने हमारा साथ दिया। हम आपसे मिले हों या ना मिले हों हमारे एक मैसेज पर आपने हमें सहयोग दिया कि ‘‘तारा’’ संभली रहे।
ऐसा लगता है कि सबसे बुरा वक्त बीत गया। 2021 से नया दशक शुरू हुआ है और ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सभी को अच्छा स्वास्थ्य और खूब समृद्धि दे। मन तो आपका बड़ा है ही तभी तो आप उनके लिए देते हैं जिनका आपसे कोई परिचय नहीं है।
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ
आदर सहित...
दीपेश मित्तल
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