Follow us:

Blog


Tara Netralaya : Chhoti Chhoti Jagah Deti Bada Uziyaaraa

Posted on 14-Jan-2022 10:33 AM

तारा नेत्रालय : छोटी छोटी जगह देती बड़ा उजियारा

पिछले माह मैं और दीपेश जी मुम्बई गए थे। मुम्बई में 2013 से तारा नेत्रालय, मुम्बई चल रहा है जहाँ अब तक 14533 मोतियाबिन्द के ऑपरेशन निःशुल्क हुए हैं। उदयपुर में 6 अक्टूबर, 2011 को पहला आँखों का अस्पताल खोला था तब हमें भी नहीं पता था कि आने वाले 10 वर्षों में तारा संस्थान के 5 अस्पताल होंगे जहाँ हजारों रोगियों के मोतियाबिन्द ऑपरेशन निःशुल्क हर महीने होंगे।

दिल्ली, मुम्बई, फरीदाबाद एवं लोनी जैसी बड़ी जगहों पर अस्पताल खोलने का मकसद ये था कि मैं पहले जब भी दिल्ली जाती थी तो वहाँ रिक्शे वाले को देखती थी जो बहुत थोड़े से पैसों में चलते थे। हमेशा ऐसा लगता था कि इतने महंगे महानगरों में इनका गुजारा कैसे होता होगा। ये भी कहा जाता है कि बड़े शहरों में हर गगनचुम्बी ईमारत के पास एक झुग्गी भी तैयार हो जाती है। 

तो महानगरों में जहाँ ‘‘तारा’’ को दान मिल रहा है उसका उपयोग वहाँ रहने वाले गरीबों के लिए भी हो इसी सोच ने ये हॉस्पीटल खुलवाए। तारा से पहले भी बहुत से सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल काम कर रहे थे और आगे भी बहुत से नये अस्पताल आएँगे लेकिन मुझे तो लगता है कि इन महानगरों के हर बड़े मोहल्ले में एक ‘‘तारा नेत्रालय’’ खुल जाए तो भी कम होगा।

तारा संस्थान के तारा नेत्रालय, दिल्ली व मुम्बई किराये के भवन में चल रहे हैं और पिछले वर्ष ही हमने तारा नेत्रालय, दिल्ली का भवन बदला था क्योंकि जिस भवन में वो चल रहा था वो छोटा पड़ने लगा था। अभी मुम्बई भी इसलिए गए थे कि मीरा रोड के पेनकरपाड़ा में जो भवन था वो बहुत छोटा पड़ने लगा था। प्रतिमाह 300-350 ऑपरेशन और रोज की 150-200 की ओ.पी.डी. फिर भी लंबी लाइन इतनी कि लोगों को मना करना पड़े कि हॉस्पीटल में जगह नहीं है। अभी जो भवन है संस्थान के ही एक दानदाता श्री सुनील जी इसरानी ने बहुत ही कम किराये पर तारा को दिया था। मुम्बई में हमने कई भवन देखें और मीरा रोड में ही एक भवन के दो माले किराये पर लिए हैं। 

जैसा कि हम आपसे हमेशा कहते हैं कि हमारी कोशिश ये है कि तारा संस्थान वृद्धाश्रमों में आगे से आगे इस तरह जगह करता जाएगा कि किसी भी वृद्ध को जगह के अभाव में मना नहीं करना पड़ेगा लेकिन ऐसा वादा तारा नेत्रालयों के लिए न तो हम कर पायेंगे और करना तो दूर सोचना भी नासमझी होगी। अभी हम अस्पतालों की क्षमता और डॉक्टर्स बढ़ा रहे हैं लेकिन आँखों के पूर्णतया निःशुल्क अस्पताल चलाना मुश्किल काम होता है क्योंकि डॉक्टर्स-स्टाफ का मानदेय, दवाइयाँ, लैंस बिजली का बिल आदि खर्चे बहुत बड़े होते हैं और ये सब अनगिनत रोगियों के लिए कर पाना असंभव है। 

ये तो आप सभी का साथ है कि तारा संस्थान 5 आँखों के अस्पताल निःशुल्क चला रहा है वर्ना हमारी क्या बिसात। जैसे-जैसे काम बढ़ता है बड़ी बिल्डिंग ली जा सकती है लेकिन बड़ी बिल्डिंग में किराया भी बढ़ जाता है। दानदाताओं की भी दान देने की सीमा होती है और हर बार नये दानदाता भी नहीं मिलते हैं। हाँ यदि जैसे लोनी में आदरणीय श्री जे.पी. शर्मा साहब ने लोनी हॉस्पीटल का भवन बना कर दिया था फिर फरीदाबाद में भाटिया सेवक समाज ने अस्पताल का भवन निःशुल्क उपयोग में करने हेतु दिया वैसा हो तो मासिक खर्च बच जाता है और अस्पताल चलाना असान हो जाता है। 

कभी-कभी अपनों से दिल की बात शेयर कर लेते हैं तो मन हल्का हो जाता है और जो थोड़ा भय होता है कि इतना खर्च कैसे मैनेज होगा वो भी निकल जाता है सो ये सब आपको बता दिया। वरना हमें पता है कि जब दस साल हो गए और 87525 मोतियाबिन्द के ऑपरेशन निःशुल्क हो गए तो आगे भी होंगे और भगवान ने चाहा तो काम बढ़ेगा भी।

जब तारा नेत्रालयों की बात हो तो एक नाम का जिक्र जरूर करूंगी, डॉ. कुलीन कोठारी देश के ख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ जिन्होंने भारत की बड़ी से बड़ी हस्तियों के मोतियाबिन्द ऑपरेशन किए हैं वे विजन फाउण्डेशन के माध्यम से प्रतिवर्ष हजारों ऑपरेशन की मदद तारा संस्थान को देते हैं और तारा को ही नहीं वरन बहुत सी अन्य संस्थाओं को भी देते हैं। भारत में मोतियाबिन्द के कारण होने वाली अंधता निवारण में विजन फाउण्डेशन का बहुत बड़ा योगदान है। डॉ. कोठारी और उनकी पत्नी श्रीमती मीनाक्षी कोठारी से मिलने का सौभाग्य भी मुम्बई में प्राप्त हुआ और उन्हें हम सबकी भावनाओं के रूप में छोटा सा सम्मान पत्र भेंट किया। डॉ. कोठारी और आप सभी दानदाताओं जैसा भारत के 10 प्रतिशत समर्थ लोग भी सोच ले तो मोतियाबिन्द जैसी बीमारी में पैसे की कमी से ऑपरेशन न होने के कारण एक भी आँख की रोशनी ना जाए।

आदर सहित...

- कल्पना गोयल

 

Blog Category

WE NEED YOU! AND YOUR HELP
BECOME A DONOR

Join your hand with us for a better life and beautiful future