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Thank you, Itni Khoobsoorat.. Nayi Soch Ke Liye..

Posted on 20-Aug-2018 12:07 PM

थैंक यू, इतनी खूबसूरत... नई सोच के लिए...

94.3 माई एफ.एम. (94.3 My FM) से फोन आया कि वृद्धाश्रम आवासियों की महिलाओं का हेयरकट और मेकअप करना चाहते हैं, उनके आफ्टरनून शो के लिए... बाहर (और अंदर दोनों) तरफ से आर.जे. माहिया को थैंक यू कहा इतनी खूबसूरत जिंदा..... नई सोच के लिए... और कल जब मैं ऊपर (वृद्धाश्रम) गई वो 70, 80, 85, 90 वाली मेरी सारी आंटिया 16 वर्ष की युवतियों वाली हंसी लिए मुझे अपने कटे हुए बाल और मेकअप दिखा रही थी और एक स्त्री के लिए शृंगार, आभूषण तो मानो एक जादुई मंत्र है, जोर से रोते हुए भी उनके आंसू थम जाए... सब जानती हूँ... मैं भी एक स्त्री हूँ... मेरी मम्मी को जन्मदिन की भेंट इस वर्ष 71 वर्ष की उम्र में पार्लर ले जाकर दी, बाल कलर फिर और फेसिअल, चेहरे पर ओढ़ा हुआ गुस्सा, मगर उनके दिल की गुदगुदी साफ दिख रही थी। यकीन मानिए वृद्धाश्रम आपकी उम्र को धोखा दे सकते है, आपकी सोई ख्वाहिशें, अधूरे सपने फिर अंगड़ाई लेने लगते हैं आखिर हो भी क्यों नहीं आखिर आप अपने हम उम्र दोस्तों के साथ रह रहे हैं। इतने बड़े समूह में जो आपको अपने लगे बस वही आपके दोस्त बन जाते हैं, और फिर बचपन जवानी के दिनों की जुगालिया और आज खाने में क्या मीठा होगा यह सोचकर आँखों की चमक बढ़ती है यही सब देखती हूँ जब लंच के लिए जाती हूँ।
वृद्धाश्रम नहीं होने चाहिए, ये ख्याल मुझे कभी नहीं आया, कुछ लोग कहते है तो सुन लेती हूँ बस जिस भी ‘‘विदेशी’’ ने अवधारणा को जन्म दिया वो बधाई का पात्र है... हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, हमारी खुद के लिए जिम्मेदारी है कि हम खुश रहें, तनाव रहित रहे... और निःशुल्क वृद्धाश्रम ‘‘जेब खाली है’’, वाले तनाव को भी काफी हद तक विदा कर देते हैं। बात सिर्फ सोच की है। उपेक्षित, तिरस्कृत लेकिन दिखावटी सम्मानीय जिंदगी से बेहतर है, खुद से आँख मिला सकें, खुद को खुद की सम्मान दे सके वाली वृद्धाश्रम की जिंदगी.... आपका अपना घर, और फिर ये वक्त तो सबसे बड़ा दोस्त है, धीरे-धीरे सारी कड़वाहट भूला ही देता है, आप नेगटिवली खाली होने लगते हैं और पोजिटीवली भरने लगते हो...
मेरे दिल के तो बहुत करीब है, ये ‘‘वृद्धाश्रम’’।

कल्पना गोयल

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