Ummeed Ek Achchhe Bhavishya Kee...
Posted on 18-Aug-2018 04:10 PM
उम्मीद एक अच्छे भविष्य की....
तारांशु दिसम्बर 2014 के अंक में रेखा लौहार नाम की महिला का जिक्र किया था जो कि अपने पति की मृत्यु और ससुराल वालों के घर से निकाले जाने के बाद एक बाडे़ में अपनी तीन छोटी-छोटी बेटियों के साथ रह रही है। अभी कुछ दिन पहले रेखा मेरे पास आई। उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने और उनकी पढ़ाई में दिक्कत आ रही थी और बेहद चिंतित थी अपने बच्चियों के भविष्य को लेकर। मैंने उन्हें तारा संस्थान के ही शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल के बारे मे बताया जहाँ उनके जैसी ही विधवा महिलाओं के बच्चों की शिक्षा, बैग, किताबें सब निःशुल्क है.... एक स्लिप स्कूल की प्रिंसिपल के नाम बनवाई जिसमें रेखा जी की दोनों छोटी बच्चियों को स्कूल में निःशुल्क एडमिशन करवाने के निर्देश थे। बड़ी बच्ची चूंकि 9 वीं क्लास में है और शिखर भार्गव स्कूल अभी 8वीं तक ही है सो उसकी पढ़ाई वहाँ संभव नहीं थी.... बच्चियों को लाने, ले जाने के लिए ऑटो खर्च भी तारा संस्थान द्वारा ही दिया जाएगा। रेखा के बच्चों को शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल में एडमिशन देकर जो खुशी हुई उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती। तारा संस्थान पिछले 3-4 सालों से ऐसी विधवा महिलाओं को गौरी योजना के तहत 1000 रु. महीना दे रहा है जिनके छोटे बच्चे हैं और इनमें से अधिकतर इस राशि को अपने बच्चों पर खर्च करना बताती हैं। लगभग एक वर्ष पूर्व विधवा महिलाओं के बच्चों के लिए शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल प्रारंभ हुआ तो ऐसा लगता है जैसे ईश्वर हाथ पकड़ कर आगे चला रहा है क्योंकि हमारी योजनाओं में यह स्कूल की सोच कहीं दूर दूर तक भी नहीं थी लेकिन पिछले वर्ष तारा संस्थान के मुख्य संरक्षक आदरणीय श्री नगेन्द्र प्रकाश जी भार्गव व श्रीमती पुष्पा जी भार्गव आए तो उन्होंने इन विधवा महिलाओं के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करने की इच्छा जताई और एक माह से भी कम के समय में ‘‘शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल’’ प्रारंभ हुआ। अब कभी भी कोई विधवा महिला या बहुत गरीब महिला अपने बच्चों के भविष्य की चिंता लेकर आती है। तो मैं सीधा उन्हें शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल भेज देती हूँ.... एक उचित समाधान मिल गया है...... और हाँ परम् आदरणीय भार्गव साहब और उनके परिवार का तहेदिल से आभार व्यक्त करना चाहती हूँ कि वे उन बहुत सारे बच्चों का भविष्य बनाने में अपना सहयोग दे रहे हैं। जो शायद बिना शिक्षा के निर्मम दुनिया में गुम हो जाते......
आदर सहित....
कल्पना गोयल