Uttar Pradesh Me Tara Netralaya
Posted on 20-Aug-2018 12:18 PM
उत्तर प्रदेश में तारा नेत्रालय
तारा संस्थान या नारायण सेवा संस्थान में जितने भी साल काम करने का अवसर मिला है मैं हमेशा एक बात मानती हूँ कि जो काम हो रहा है उसका महत्त्व तो है ही लेकिन उससे भी ऊपर जो है वह यह कि इस काम में अच्छे लोगों से मिलना होता है। ऐसे लोग जो दिल से करोड़पति अरबपति हैं, ऐसे लोग जिनमें करुणा कूट-कूट कर भरी है... ऐसे लोग जो अपनी गाढ़ी पसीने की कमाई में अपने जरूरी आराम की चीजों में भी कमी करते हैं और फिर पैसा बचा कर दान दे देते हैं। कभी-कभी तो मुझे खुद लगता है कि मैं उनकी जगह होती तो क्या इतनी उदार होती। बस मैं तो नतमस्तक हूँ आप सबके सामने जो आज भी इस भावना को प्रबल बना रहे हैं कि अच्छाई कभी इस संसार से खत्म नहीं होगी।
अभी कुछ समय पहले ऐसे ही बेहतरीन महानुभाव से मिलना हुआ। श्री जे.पी. शर्मा सा. जो अभी दिल्ली में रहते हैं, उन्होंने तारा के दिल्ली के कार्यकर्त्ता अमित शर्मा से बात की थी कि दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश के लोनी में उनकी एक जमीन है जिसे वो तारा को दान देना चाहते हैं और उस पर भवन भी बना कर देगें जिसमे तारा संस्थान आँखों का अस्पताल चला सके। अभी कोई विचार नये हॉस्पीटल का तो नहीं था लेकिन उनका मान रखने के हिसाब से बात की। पहली ही बातचीत में उन्होंने जो स्नेह दिया तो ना नहीं हो पाई। मैंने उनसे कहा कि मैं दिल्ली आऊँगी वहाँ पर हम मिलकर बातचीत कर लेंगे। दीपेश जी और मैंने विचार-विमर्श किया कि यदि वो हॉस्पीटल बनाकर दे रहे हैं तो फिर तारा हिम्मत कर सकती है क्योंकि इससे उत्तर प्रदेश के बहुत बडे़ इलाके के लोगों को हम फायदा दे सकेंगे। पापा से भी बात हुई उन्होंने भी हाँमी भरते हुए कहा कि प्रतिमाह खर्च जो नये हॉस्पीटल से बढ़ेगा वो हम उस क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से दान के प्रयास अधिक कर पूरा लेंगे।
मैंने सोचा था कि मैं आराम से दिल्ली चली जाऊंगी पर श्री शर्मा सा. रोज अमित से तकाजा करते और अमित मुझसे कहता कि आप कब आ रहे हो, मैं और दीपेश जी आखिर दिल्ली चले ही गए। श्री शर्मा सा और उनकी बहू से उनके चलाए जा रहे स्कूल में मिले। पहली मुलाकात में ही इतना प्यार और स्नेह मिला जो एक पिता पुत्री को देता है।
श्री जे.पी. शर्मा सा. खुद एक शिक्षक रहे हैं और अभी दिल्ली और गाजियाबाद में उनके 3 स्कूल चलते हैं जिसका संचालन वे अपने बेटे, बहू की मदद से करते हैं। उनकी बहू से भी मिलना हुआ वे भी अपने ससुर जी की इस इच्छा में पूरी साथ थी कि उनकी जमीन पर कुछ अच्छा काम होवें। वहाँ से वे हमें तुरन्त वो जमीन दिखाने ले गए जहाँ वो हॉस्पीटल बनाना चाहते थे। रास्ते में उनसे बात हुई तो आश्चर्य हुआ कि उनके खुद के पास कोई कार नहीं है और उनके घर पर ।ब् भी नहीं है। इतना साधारण जीवन जीने वाले बहुमूल्य जमीन इतने आराम से दान दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह कि उनमें इतनी विनम्रता कि मानो दान लेकर ”तारा संस्थान’’ उन पर कोई एहसान कर रही हो।
जमीन देखी हाइवे से मात्र 50 मीटर अंदर थी उसके पास ही उन्होंने नारायण सेवा संस्थान को भी एक फिजियोथेरेपी सेंटर बना कर दिया था। जिसमें लगभग 150 मरीज रोज लाभ ले रहे थे। पास में ही श्री शर्मा सा. ने एक भव्य मंदिर परिसर बना रखा है जो कि हरिद्वार के कुछ मंदिरों को भी मात दे दे। कई तरह की झांकियाँ, पुतले और सारे देवी देवता।
मना करने वाली कोई बात ही नहीं थी तो उन्होंने बोला कि आप तारीख बताओ उस दिन जमीन की त्महपेजतल आपके नाम कर देंगे। मुझे शर्मा सा. कुछ कुछ अपने पापा आदणीय कैलाश जी मानव जैसे लगे, उनको लगन लगी थी अपनी जमीन पर हॉस्पीटल बनाने की। साथ में उनका बेटा भी था वो भी पिता की तरह ही उतना ही खुश था अच्छे काम में जुड़कर। 20 जून, 2018 को उन्होंने मुझे दिल्ली बुलाकर जमीन की त्महपेजतल करा दी। मैंने उनसे कहा था कि आप भवन बना कर भी दे भी देंगे तो भी हॉस्पीटल हम अगले मई-जून तक प्रारम्भ करेंगे क्यांकि नये आनन्द वृद्धाश्रम भवन के बनने में बहुत खर्च हुआ और नये बुजुर्ग भी आए तो त्मबनततपदह (प्रतिमाह) खर्च भी बढ़ रहा है। लेकिन उन्होंने 11 जुलाई, 2018 को भूमि पूजन रख लिया है और फिर वे भवन बनाना प्रारम्भ कर देंगे। तारा संस्थान का एक हॉस्पीटल फिर उत्तर प्रदेश में भी प्रारम्भ हो जाएगा।
लोग कहते हैं कि अच्छाई अब घट रही है लेकिन शर्मा सा. जैसे लोग और आप सभी जो हमें निरंतर सहयोग कर रहे हैं वो इस वाक्य को झुठला रहे हैं।
आदर सहित...
कल्पना गोयल