व्यस्त दिसम्बर
दिसम्बर का महीना मतलब ठिठुरती हुई सर्दी, गर्म कपड़ों जैसे कोट-स्वेटर-शॉल-मफलर का मजा, गाजर का हलवा, दाल का हलवा, चिक्की, गजक, फीणी का मिठास, धूप में मुड्डे लगाकर बैठना फिर धूप के साथ-साथ सरकना, सलाद में गाजर-मूली, फल में एप्पल से सजी रेड़ियाँ, हमारे राजस्थान में मक्की के ढोकले (गुजराती खमण ढोकला नहीं) मक्की की रोटी... हमारे देश में हर मौसम का मजा ही कुछ ओर है। हर मौसम में, मैं यह सोचता हूँ कि ये बेहतर है और फिर मौसम बदलते ही सोच फिर बदल जाती है। हमारी मिट्टी की बात ही ऐसी है कि सारी विविधताएँ अपनी-अपनी खूबसूरती संजो कर रखती है।
वैसे तो तारा संस्थान में साल भर व्यस्तता रहती है और ये जो कहा जाता है कि ‘‘व्यस्त रहें मस्त रहें’’ इसके बहुत मायने हैं क्योंकि ‘‘खाली दिमाग तो शैतान का घर होता है’’ लेकिन दिसम्बर अकसर थोड़ा अधिक व्यस्त होता है और हम लोग इस व्यस्तता को म्दरवल करते हैं। वो एक कहानी है ना कि एक लड़की पहाड़ पर चढ़ रही थी और उसकी पीठ पर उसने अपने छोटे भाई को बैठा रखा था और मुस्कुराते गुनगुनाते चढ़ी जा रही थी। एक मुसाफिर वहाँ से गुजरा तो उसने लड़की से कहा ‘‘ऐ लड़की इतना बोझ उठाए तू थकती नहीं है?’’ लड़की मुसाफिर की तरफ देखी मुस्कुराई और बोली ‘‘ये मेरा भाई है।’’ ये सोच ही तो है जो सब कुछ बनाती है। यकीन मानिये तारा संस्थान एक ऐसा परिवार है जहाँ हम और आप मिलकर हँसते, गाते, नाचते, गुनगुनाते चलते चले जा रहे हैं। सोच में कुछ बोझ है ही नहीं और जो भी काम हो रहे हैं वो तो हमारे आदरणीय बाबूजी (डॉ. कैलाश जी ‘मानव’) की भाषा में By Product है यानी मुख्य काम आपका हमारा मिलना है फिर हॉस्पीटल, कैम्प आँखों के ऑपरेशन, वृद्धाश्रम, तृप्ति, गौरी, शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल, मस्ती की पाठशाला सब कुछ तो अपने आप होने लगता है।
दिसम्बर की शुरूआत हुई लेस्टर (इंग्लैण्ड) से आने वाले मारुति ट्रस्टी के बच्चू भाई कोटेचा सा और रंजन बेन के आने से वो हर साल आते हैं, दान देते हैं, कैम्प करवाते हैं, ऑपरेशन करवाते हैं जब जो Project उन्हें दिया कभी ना नहीं करते हैं चाहे वा गाड़ी की मांग हो या वृद्धाश्रम में कमरा बनवाने की। वे इंग्लैण्ड में पैसा इकट्ठा कर भारत में तारा के अलावा कई संस्थानों को देते हैं और पूछो तो कारण बताते हैं कि ये गोरे लोग हमारे देश को लूट कर ले गए तो मैं उस देश से वापस पैसा लाकर माटी का कर्ज उतार रहा हूँ। धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा कि उनका ट्रस्ट ही राम भक्त हनुमान के नाम पर ‘‘मारुति ट्रस्ट’’ है। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि राष्ट्र प्रेम और संस्कृति में हम उनसे पिछड़ रहे हैं। तो बच्चू भाई के साथ गाँव में कैम्प, ऑपरेशन कैम्प, वृद्धाश्रम अवलोकन आदि कई कार्यक्रम 3 दिन तक हुए और उनसे यह वादा लिया कि अब जो भवन तारा का बनेगा उसमें कम से कम एक हाल तो ‘‘मारुति ट्रस्ट, लेस्टर’’ का होगा और ना तो वो करते ही नहीं है।
दिसम्बर में अन्य दो बड़े कार्यक्रम होने वाले थे पहला 14 दिसम्बर को संस्थान के आनन्द वृद्धाश्रम का नामकरण ‘‘श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम’’ और उसी दिन शाम में फैशन शो, दूसरा 22 दिसम्बर को शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल का वार्षिक उत्सव।
14 दिसम्बर का नामकरण समारोह आदरणीय डॉ. जे.पी. शर्मा सा. ने अपनी धर्मपत्नी स्व. श्रीमती कृष्णा जी शर्मा के नाम आनन्द वृद्धाश्रम, उदयपुर को करने की इच्छा जताई थी और हकीकत बयाँ करूं तो हमारे कोई भी दानदाता नाम के पीछे नहीं होते हैं, बस वो तो एक तरीका ढूँढते हैं दान देने का। हमने तो प्रस्ताव रखा था कि इस नाम में डॉ. जे.पी. शर्मा सा का नाम भी जुड़ जाये और दोनों के सम्मिलित नाम पर ये वृद्धाश्रम होवे पर उन्होंने एक बार हाँ कर फिर विनम्रता से मना कर दिया। नामकरण समारोह की तैयारियाँ होटल, हलवाई कार्यक्रम स्थल, कार्यक्रम रूपरेखा सब कुछ होने लगा फिर सोचा मेहमान तो आ रहे हैं तो फिर क्यों ना फैशन शो भी रख लें तो उसकी भी तैयारियाँ होने लगी। वृद्धाश्रम के बुजुर्ग मस्त होकर रिहर्सल करते, उसे देखना ही मजेदार होता था।
शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल तारा के मुख्य संरक्षक आदरणीय श्री नगेन्द्र प्रकाश जी भार्गव सा. के पुत्र की स्मृति में संचालित है और हर साल 22 दिसम्बर को स्व. श्री शिखर भार्गव जी के जन्म दिवस पर इस स्कूल का वार्षिक उत्सव मनाया जाता है और भार्गव परिवार चाहे कितना भी व्यस्त हो उसमें सम्मिलित होता है। तो स्कूल वार्षिकोत्सव की तैयारी देखने भी जाना होता था जिसमें नन्हें-मुन्ने बच्चे डांस, नाटक, गीत सब कुछ तैयार करते है। मन में इतनी खुशी होती कि आदरणीय भार्गव सा. की सोच थी कि विधवा महिलाओं के बच्चों के लिए एक अच्छा स्कूल चालू हो और हम लोग ऐसा कर पाये। अब इस स्कूल के माध्यम से वे सब माँऐं जिन्होंने पति को खो दिया पर उनका सपना था कि बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें उनका सपना पूरा हो रहा है। यहाँ के बच्चे अच्छी शिक्षा के साथ-साथ आत्म विश्वास लेकर जा रहे हैं जो उनके जीवन में हमेशा काम आएगा।
14 दिसम्बर का दिन आ गया सुबह नामकरण समारोह के बाद सम्मान समारोह हो गया और शाम में ‘‘कस्तुरी 2019’’ फैशन शो में बुजुर्गों ने जो लटके-झटके दिखाए दर्शकों को मजा आ गया। जिन्दगी में यदि उत्सव ना हो वो जीवन बेरंग हो जाता है और इस फैशन शो में तो कुछ करना ही नहीं था बस तेज संगीत में अच्छे कपड़े पहन कर मटकते हुए स्टेज पर चलना था। सब लोगों ने वीडियो बनाए ताकि अपने बच्चों को दिखा सके कि हम किसी से कम नहीं।
19 और 20 दिसम्बर को फरीदाबाद और दिल्ली जाना हुआ। फरीदाबाद वृद्धाश्रम भवन देने वाले श्री ओमप्रकाश जी और श्रीमती दीपा जी मल्होत्रा फ्रांस से आए थे। ‘‘ओमदीप आनन्द वृद्धाश्रम’’ फरीदाबाद जाना हमेशा एक सुखद अनुभव होता है। ऐसा लगता है कि अपने घर में आ गए हो वहाँ कि आहुजा आंटी का किचन में काम करता मुस्कुराता चेहरा या फिर सुबह-सुबह बर्तन साफ करते सरदार जी, उन्हें देखकर तो यही लगता है कि काश हर धर्म के मंदिरों में कार सेवा होती।
श्री ओम प्रकाश जी और दीपा जी से मिलना हुआ इतने विनम्र दोनों और उनकी आँखों से बस प्यार छलकता है, वहाँ रहने वाले सभी बुजुर्गों से भी इतना प्यारा सा उनका बर्ताव, सच में आदमी उतना ही बड़ा होता है जितना वो विनम्र होता है। तारा नेत्रालय फरीदाबाद भी जाना हुआ, भाटिया सेवक समाज के प्रधान सा. से आशीर्वाद लिया उन्हें कहीं जरूरी काम से जाना था पर हमें बैठा के गाजर का हलवा जरूर खिलाया। दिल्ली में भी डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ से थोड़ी बातचीत की।
21 दिसम्बर को वापस आये और 22 को वार्षिक उत्सव हुआ। बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियाँ देखकर उन माँओं को क्या एहसास हुआ होगा, आप सोचिये जो अब सिर्फ इस उम्मीद पर जी रही हैं कि मेरा बच्चा कुछ बन जाए।
अगले दिन स्कूल में कौन बनेगा करोड़पति खिलाया गया भार्गव सा. और मेरे पापा आ कैलाश जी ‘मानव’ दोनों ने ही सिद्ध कर दिया कि उनका सामान्य ज्ञान बेहतरीन है।
साल का आखिरी सप्ताह भी कुछ-कुछ गतिविधियों भरा रहा और देखते-देखते 2019 निकल गया। फिर नयी सुबह, सब कुछ वही पर बहुत सारी नयी उमंगें कि अब 2020 आया है नया साल। ये समय का चक्र वैसे तो हमारा अपना बनाया है ईश्वर ने तो न घड़ी बनाई, ना तारीखें लेकिन लगता है मनुष्य ने खुद को ऊर्जा से भरने के कुछ तरीके बनाये हैं तो बस नई ऊर्जा, नई उमंग से हम भी जुट रहे व्यस्त रहने को और ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सभी भी भर जाएँ 2020 की उमंग से।
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित...
कल्पना गोयल
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