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Tara Sansthan Blog

  • 11-Nov-2019

    Diwali Kee Safaai

    दिवाली की सफाई

    पिछली एक दो दीपावली से मेरे घर पर एक विवाद हमेशा होता है कि दीपावली की सफाई कब की जाए। मेरा मत होता है कि साल में एक बार सफाई करनी है तो वो दीपावली के बाद कर लो क्या

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  • 11-Nov-2019

    "Meri Taaqat"

    ‘‘मेरी ताकत’’

    Strength, ताकत, मजबूती ये सारे शब्द हम महिलाओं में काफी प्रचलित हैं, पर ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि उसने हमें ये भरपूर मात्रा में दी है, बस

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  • 10-Oct-2019

    Mumbai Me Doosra Din

    मुम्बई में दूसरा दिन

    दीपेश जी ने मुम्बई प्रवास के पहले दिन का वृत्तांत बताया और दूसरे दिन का जिम्मा मुझपर डाल दिया। मुम्बई में अगले दिन हमने कुछ दानदाताओं से मिलने का निश्चय किया। स

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  • 10-Oct-2019

    Mumbai Me Ek Din

    मुम्बई में एक दिन

    पिछले दिनों तारा नेत्रालय, मुम्बई जाना पड़ा था, मायानगरी, देश की आर्थिक राजधानी, सपनों का शहर और भी न जाने क्या-क्या नाम दिए हैं इस शहर को। मुम्बई से मेरा पहला परिच

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  • 01-Oct-2019

    Khushi Ka Len-Den

    खुशी का लेन-देन

    ऐसा कहते हैं कि दुनिया लेन-देन पर टिकी है जब मुद्रा नहीं थी तो चीजों का आदान प्रदान होता था अनाज के बदले में कपड़ा, धातु के बदले में औजार और भी न जाने क्या-क्या ल

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  • 01-Oct-2019

    Ek Vichaar

    एक विचार

    मेरी घर के सामने गली में एक महिला रहती हैं जो अकसर मुझे पास के मंदिर में तीज या गणगौर की पूजा के दौरान मिल जाती थी, मैं उनसे बहुत प्उचतमेमक थी। बहुत ही गरिमामय अच्छा बोलने

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  • 01-Aug-2019

    "Mera Peehar - Meri Beti"

    ‘‘मेरा पीहर - मेरी बेटी’’

    थोड़ा अजीब सा टाइटल है ना लेकिन इस अजीब से टाइटल ने कुछ बेटियों के और हमारे लिए एक दिन यादगार बना दिया। दरअसल कुछ दिनों पहले कल्

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  • 01-Aug-2019

    Manthan

    मंथन

    अभी कुछ समय पहले ही मेरी मुलाकात चिराग 5 वर्ष, अनिकेत 8 वर्ष व उनकी माँ पायल जिनकी उम्र 27 वर्ष भी नहीं होगी से हुई... चिराग अपने पापा को बहुत याद करता है, रोता है.... पायल ने

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  • 06-Jun-2019

    Santushti

    संतुष्टि

    जून, 2011 से तारा संस्थान ने पूर्ण रूपेण कार्य करना प्रारम्भ किया था उसके पहले कुछ कैम्प कुछ लोगों की मदद से करते रहे थे लेकिन वो बहुत थोड़ा सा काम था। तारा नेत्रालय, उद

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  • 06-Jun-2019

    Apna Ghar

    अपना घर

    हर माह आपसे रुबरु होने का तारांशु एक साहित्यिक माध्यम है, सोशल मीडिया के इस युग में प्रिंटेड पढ़ना भी अब ‘‘कुछ अलग’’ हो गया है।

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